ज्ञान भंडार

गर्दन में गोली लगने पर भी एक दिन जिंदा रहा जांबाज,

_1477373556दुश्मनों की गोलियों का मुंहतोड़ जवाब देते हुए शहीद हुए पिहोवा के सुशील कुमार की गर्दन में गोली लगी थी। आज उनका अंतिम संस्कार होगा।

शहीद जवान सुशील कुमार भारतीय सीमा सुरक्षा बल की 127 वीं बटालियन में जम्मू की आरएसपुरा सेक्टर में तैनात थे। पैंतालीस वर्षीय सुशील कुमार पिछले चौबीस वर्षों से बीएसएफ में तैनात थे। शहीद जवान अपने पीछे पत्नी सुनीता, बारहवीं में पढ़ने वाला बेटा मोहित व दसवीं में पढ़ने वाली बेटी महक व बूढ़ी मां सोमादेवी को छोड़ गये हैं

शहीद हेडकांस्टेबल सुशील के भाई संजय के मुताबिक पाकिस्तान की ओर से जम्मू के आरएस पुरा सेक्टर पर रात करीब 11 बजे गोलीबारी शुरू की गई। करीब डेढ़ घंटे तक बीएसएफ के जांबाजों ने भी दुश्मनों की गोलीबारी का पूरा जवाब दिया। उस वक्त शहीद सुशील की मां को नहीं पता था कि वो बेटे से आखिरी बार बात कर रही हैं।

जब सुशील ने मां से फोन पर बात शुरू की तब उसने गोलीबारी की आवाज सुन ली। उसने बेटे से पूछा कि यह आवाजें कैसी हैं? तब सुशील कुमार ने कहा कि मां आप लोग तो कुछ दिनों बाद दिवाली मनाओगे हम अभी से दिवाली मना रहे हैं दुश्मनों के साथ। यह पटाखों की आवाज है। बाद में उसके शहीद होने की ही खबर मिली।

सुशील कुमार ने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी आज कुरुक्षेत्र के पिहोवा गांव में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। गौरतलब है कि सोमा देवी पिछले लंबे वक्त से बीमार हैं। परिवार का रो रो कर बुरा हाल है, सुशील की पत्नी बेसुध हैं, सुशील के दोनों बच्चों के पास पिता की यादों के सिवा अब कुछ नहीं बचा है।

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