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घायल एसीपी अनुज से सुनाई दंगों की आपबीती, कैसे लगी रतनलाल को गोली

नई दिल्ली : राजधानी दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में हालात अब धीरे-धीरे सामान्य होने की तरफ बढ़ रहे हैं। हिंसा प्रभावित इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात है और लोग दंगों की दहशत के बीच अपने जले हुए घरों और दुकानों को फिर से आबाद करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इस हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने 42 लोगों की जान ले ली। वहीं, 200 से ज्यादा लोग हिंसा में घायल हुए हैं। हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के एसीपी अनुज कुमार अपने डीसीपी अमित शर्मा को बचाते हुए घायल हो गए थे। एसीपी अनुज कुमार ने अब हिंसा की आपबीती बयां की है। ‘भीड़ ने हमें चारों तरफ से घेर लिया’ हिंसा के दौरान गोकुलपुरी के एसीपी अनुज कुमार के पैर और सिर में चोटें आईं। हिंसा के उस भयावह मंजर का जिक्र करते हुए एसीपी अनुज ने बताया, ‘बीते 24 फरवरी को भजनपुरा के चांदबाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून को लेकर हिंसा भड़की हुई थी। सैकडो़ं की संख्या में लोग इकट्ठा होकर पत्थरबाजी कर रहे थे। मेरे साथ डीसीपी अमित शर्मा और मेरे रीडर हेड कॉस्टेबल रतन लाल भी थे, जो उपद्रवियों को शांत कराने में लगे थे। अचानक उपद्रवियों की भीड़ ने हमें चारों तरफ से घेर लिया और हमारे ऊपर पत्थरबाजी शुरू कर दी।’ एसीपी अनुज कुमार ने आगे बताया, ‘हम लोग जहां खड़े थे, उसके पीछे सड़क के डिवाइडर की ग्रिल थी और सामने से भीड़ पत्थरबाजी कर रही थी। उन लोगों के पास लाठी-डंडे और कुल्हाड़ी जैसे हथियार भी थे। पत्थरबाजी में डीसीपी अमित शर्मा बुरी तरह घायल हो गए और उनके मुंह से खून निकलने लगा। वो बेहोश हो गए थे। मेरे सिर में भी पत्थर लगे। एक बार मेरे मन में आया कि मैं अपनी पिस्टल निकालकर फायरिंग करूं, लेकिन फिर सोचा कि ये ठीक नहीं होगा, क्योंकि भीड़ बहुत ज्यादा थी, हमारी लिंचिंग हो सकती थी।’ ‘हेड कांस्टेबल रतन लाल को गोली लगी और फिर…’ घटना के बारे में एसीपी अनुज ने आगे बताया, ‘इसी बीच हेड कांस्टेबल रतन लाल को गोली लग गई। हमें इस बारे में पता भी नहीं चला। मैंने किसी तरह उन दोनों को भीड़ के बीच से निकाला और सड़क पर एक गाड़ी रुकवाकर उन्हें पास के एक नर्सिंग होम लेकर गया। रतन लाल को गोली लगी थी और उनकी हालत बिगड़ रही थी इसलिए हम उन्हें वहां से जीटीबी अस्पताल लेकर गए, जहां उन्होंने दम तोड़ दिया। इसके बाद हमने डीसीपी अमित शर्मा को दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया, जहां अभी भी उनका इलाज चल रहा है।’

दिल्ली के उत्तर-पूर्वी इलाके में बीते सोमवार को उस वक्त हालात बिगड़ गए, जब नागरिकता संशोधन कानून को लेकर इस कानून के समर्थक और विरोधी आमने-सामने आ गए। इस हिंसा में अभी तक 42 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें दिल्ली पुलिस के एक हेड कांस्टेबल और आईबी के एक अफसर शामिल हैं। आईबी अफसर की लाश एक नाले के अंदर से मिली और उन्हें चाकुओं से गोदकर मारा गया था। इस मामले में आम आदमी पार्टी के पार्षद ताहिर हुसैन के ऊपर आईबी अफसर की हत्या का मुकदमा दर्ज किया गया है। वहीं हिंसा के अलग-अलग मामलों में दिल्ली पुलिस ने कुल 123 एफआईआर दर्ज की हैं। वहीं, 630 लोगों को हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है। ज्वॉइंट पुलिस कमिश्नर आलोक कुमार ने इस मामले में जानाकारी देते हुए बताया, ’25 फरवरी की शाम के बाद से हिंसा की कोई घटना सामने नहीं आई है।

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