अन्तर्राष्ट्रीय

चीन का ट्रंप पर पलटवार, कहा- दक्षिण-चीन सागर पर अपने हितों की रक्षा करेंगे

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व में अमेरिकी प्रशासन ने संकल्प लिया है कि अमेरिका दक्षिण-चीन सागर में अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र पर चीन को कब्जा करने से रोकेगा। अमेरिका ने यह संकल्प चीनी सरकारी मीडिया के उस बयान के बावजूद दोहराया है जिसमें उसने वाशिंगटन को युद्ध की चेतावनी दी थी।
अमेरिकी संकल्प पर चीन कहा है कि दक्षिण चीन सागर विवाद में अमेरिका चूंकि कोई पक्ष नहीं रहा है, इसलिए उसे इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने के पहले सावधानी पूर्वक सोच-समझ लेना चाहिए। इस तरह दोनों देशों के बीच टकराव के आसार बढ़ गए हैं।
ट्रंप के शपथ लेने के कुछ दिन बाद ही व्हाइट हाउस के प्रवक्ता सीन स्पाइसर ने संवाददाताओं से बातचीत करते हुए कहा कि – ‘अमेरिका अपने हितों की रक्षा हर सूरत में करेगा।’ उन्होंने यह भी कहा कि – ‘जो हिस्सा अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आता है वह चीन का नहीं हो सकता है, अत: अमेरिका यह सुनिश्चित करेगा कि अंतरराष्ट्रीय हितों को किसी एक देश द्वारा तोड़ा न जा सके।’जब उनसे पूछा गया कि क्या ट्रंप उनके विदेशमंत्री रैक्स टिलरसन की टिप्पणी से सहमत हैं जिसमें टिलरसन ने चीन को विवादित द्वीप पर निर्माण कार्य बंद करने की चेतावनी दी थी, तो स्पाइसर ने कहा कि – ‘यह देखना होगा कि क्या वास्तव में ये द्वीप अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में आते हैं और चीन का हिस्सा नहीं हैं।’

अमेरिका को इस मुद्दे पर खतरा पैदा नहीं करना चाहिए

व्हाइट हाउस के बयान के बाद चीन ने कहा है कि – ‘अमेरिका को इस मुद्दे पर सच्चाई का सम्मान करते हुए क्षेत्र में शांति और अस्थिरता के लिए खतरा पैदा नहीं करना चाहिए।’ चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुन्यिंग ने कहा कि – ‘अमेरिका को इस मसले पर बात करते वक्त सावधानी बरतनी चाहिए।’ इससे पहले व्हाइट हाउस ने स्पष्ट किया कि कोई भी व्यापार एक तरफा नहीं हो सकता है। अमेरिका ने कहा कि इस विवाद को अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत ही सुलझाया जाना चाहिए। स्पाइसर ने दो टूक कहा कि – ‘अमेरिका को अपना सामान बेचने के लिए चीन के बाजार की जरूरत है लेकिन वह मौजूदा नीतियों को आगे जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं।’ उन्होंने यह भी कहा कि चीन के कई बड़े व्यापारी अमेरिका को चीन में सामान बेचने के लिए आने देना चाहते हैं। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रपति बनने से पहले भी ट्रंप इस मसले पर अपनी राय और रणनीति सार्वजनिक कर चुके हैं। 
भविष्य पर छोड़ी सैन्य कार्रवाई की आशंका
अमेरिकी विदेशमंत्री रैक्स टिलरसन ने हालांकि इस मुद्दे पर फिलहाल कुछ नहीं कहा है लेकिन ट्रंप के शपथ लेने से पहले ही वह चीन के खिलाफ थे। इस बीच व्हाइट हाउस की टिप्पणी के बाद विश्लेषक मान रहे हैं कि दक्षिण चीन सागर के विवादित क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य कार्रवाई की आशंका बढ़ गई है। विश्लेषकों को परमाणु सैन्य ताकत का मुकाबला बढ़ने का भी अंदेशा है। हालांकि स्पाइसर ने इसे भविष्य पर छोड़ने की बात कही।

समुद्र में चीन को घेरने में सक्षम है अमेरिका
सैन्य विशेषज्ञों के मुताबिक एशिया में अमेरिकी नौसेना चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अपने जहाजों, पनडुब्बियों और हवाई जहाजों द्वारा कोई भी घेराबंदी ऑपरेशन संचालित करने में पूरी तरह सक्षम है। राष्ट्रपति के सहयोगियों का कहना है कि ट्रंप की योजना पूर्वी एशिया में चीनी प्रभाव खत्म करने के लिए क्षेत्र में बड़ा नौसैनिक अभियान चलाने की है। दूसरी तरफ चीन ने भी स्पष्ट कर दिया है कि विवादित द्वीप चीन के इलाके में आते हैं जहां कोई भी काम करने के लिए वह स्वतंत्र है। इसे लेकर दोनों के बीच टकराव के आसार बढ़ गए हैं। 

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