जानिए, रात्रि में झाड़ू लगानी चाहिए या नहीं?
- उत्तर दिशा के पक्ष में यथासंभव लाल या मरून रंग के पर्दों व चादर का प्रयोग करने से बचें, अन्यथा आर्थिक हानि जे साथ संबंधों में तनाव संभव है।
- घर के मुख्य द्वार पर अंदर और बाहर की ओर लाल कपड़े की पोटली में फिटकरी रखना नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करने में सहायक होता है।
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ये भी जानें-
सदैव नकारात्मक परिस्थितियों का चिंतन मनन और रोना गाना, आपको मुसीबत से बाहर निकलने नहीं देता। यह आपके स्वभाव में उग्रता पैदा कर आपके आभामंडल को निस्तेज बनाकर आपकी प्रगति को बुरी तरह बाधित करता है। बुरे समय में मुस्कुराहट, विनम्रता, मीठे वचन, अशक्तों की सहायता और स्वयं की योग्यता में इजाफा से बेहतर कोई उपाय नहीं है।प्रश्न: आर्थिक कष्ट विकराल हो गया है। हमारे घर का मुख्य द्वार दक्षिण में है और खिड़कियां पश्चिम में हैं। किसी ने इसे ही हमारी समस्या की जड़ बताया है। क्या ये सही है? यदि हां, तो उपाय क्या है?
उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि यदि पिछले हमारे पिछले किसी अज्ञात नकारात्मक कर्मों से भाग्य प्रभावित होता है, तो यकीनन उसका अक्स हमें हमारे वास्तु में भी नजर आता है। वास्तु के नियमों के अनुसार आपके गृह के वास्तु की स्थिति निश्चित रूप से सकारात्मक नहीं है। यदि घर के अंदर की योजना वास्तुसंगत न हुई, तो यह वास्तु आपके कष्टों में कुछ इजाफा कर सकता है। चिंता बिलकुल न करें। यथासंभव उत्तराभिमुख रहने, उत्तर पूर्व दिशा में दर्पण स्थापित करने से लाभ होगा। यदि रसोई घर आग्नेय कोण में और स्नानघर उत्तर या पूर्व में हो, तो कष्ट में कमी होगी, ऐसा मैं नहीं वास्तु के सिद्धांत कहते हैं।
प्रश्न: क्या मैं सफलता के शिखर पर पहुंच सकता हूं? जन्म तिथि -12.08.1992, जन्म समय-4.05 प्रातः, जन्म स्थान-मंडवा, झुनझुनू (राजस्थान)
उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि आपकी राशि मकर और लग्न कर्क है। लग्न में धनेश सूर्य और पराक्रमेश व व्ययेश बुध विराजमान है। केंद्र का सूर्य और बुध जहां कुलदीपक योग निर्मित कर रहा है, वहीं बुद्धादित्य नामक उत्तम से भी विभूषित कर रहा है। इस वक्त आप शनि की साढ़ेसाती के भी अधीन हैं, पर शनि के स्वघर में आसीन होने से यह योग सुख प्रदायक हो जाता है। हां, आपकी कुंडली जीवन सफल लोगों में शुमार होने की पूर्ण क्षमता से लबरेज हैं।
प्रश्न: हाथ में जब विवाह रेखा हृदय रेखा में मिल जाती है, तो इसका क्या अर्थ है?
उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि कनिष्ठा उंगली के नीचे बुध पर्वत पर उपस्थित आड़ी रेखा विवाह रेखा कहलाती है। यदि विवाह रेखा नीचे की ओर झुकती हो, तो यह दांपत्य जीवन में तनाव का संकेत निर्मित करती है, लेकिन यदि यह रेखा नीचे झुककर हृदय रेखा में मिल जाए, तो यह अलगाव की परिस्थिति उत्पन्न करती है। अगर यह रेखा हृदय रेखा को चीरती हुई नीचे आ जाए, तो यह योग जीवनसाथी के विछोह या संबंध विच्छेद का संकेत देता है।
प्रश्न: मैंने कहीं पढ़ा था कि घर में संगमरमर का फर्श अशुभ है। इसे केवल मंदिर में ही इस्तेमाल करना चाहिए। क्या यह सत्य है?
उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि वास्तु के नियम ऐसी कोई ताकीद नहीं करते है। किसी भी फर्श का चुनाव उपलब्धता, उपयोगिता, रख-रखाव सहित व्यक्तिगत दायरों के तहत होता है। वास्तु के सिद्धांत उत्तर-पूर्व में चमकीली फर्श और दक्षिण-पूर्व में चमक रहित गहरे रंग के फर्श की अनुशंसा करते हैं। संगमरमर के सिर्फ मंदिर में प्रयोग की बात पूर्णतया असत्य, अपरिपक्व, अतार्किक और अवैज्ञानिक है। आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि ठंडे स्थानों में मंदिरों में भी लकड़ी की फर्श का प्रयोग होता रहा है।
प्रश्न: दक्षिण पूर्व के कक्ष में किस रंग के पर्दों और चादर का प्रयोग करना चाहिए?
उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि दक्षिण पूर्व दिशा अग्नि से संबंधित है और अग्नि का सीधा संबंध जीवन, ऊर्जा, उत्पादन और सम्मान से है। इस कोण के कमरों में लाल, मरून, गुलाबी और हरे रंग की उपस्थिति आनंद में वृद्धि करेगी। चाहें तो, श्वेत और भूरे रंग का भी प्रयोग कर सकते हैं, ऐसा वास्तु के सिद्धांत कहते हैं। किसी भी प्रकार से इस जगह नीले और काले रंग की उपस्थिति से बचना चाहिए, अन्यथा हानि हो सकती है।
प्रश्न: क्या रात्रि में झाड़ू नहीं लगानी चाहिए?उत्तर: सद्गुरुश्री कहते हैं कि सूर्यास्त के पश्चात झाड़ू के प्रयोग के निषेध का विवरण किसी ग्रंथ में प्राप्त नहीं होता, न ही इसका कोई वैज्ञानिक आधार है। इसके सूत्र सिर्फ कही-सुनी बातों और पारंपरिक मान्यताओं में ही प्राप्त होते हैं।