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जिंदा बचे शख्स ने सुनाई आपबीती, इस एक चूक से ऐसे बिखर गईं लाशें

नेरवा/शिमला. हिमाचल प्रदेश के चौपाल के पास टौंस नदी में गिरी प्राइवेट बस के पट्टे करीब 8 किलोमीटर पहले ही टूट चुके थे। इसमें आई इस तकनीकी खराबी के बारे में जैसे ही सवारियों को पता चला तो उन्होंने चालक से बस न चलाने की गुजारिश की, बावजूद इसके बस चलाई गई। कंडक्टर के कहने पर चालक ने बस चलाई। सवारियों ने जब बस रोकने के लिए कहा तो चालक ने आगे मरम्मत करवाने की बात कहकर बस चलाने को कहा। कंडक्टर की यही जिद दर्जनों लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ गई। 45 जिंदगियां एक साथ खत्म…
– नतीजा यह रहा कि, मिनस से निकलने के बाद बस 8 किमी दूर सड़क से गहरी खाई में लुढ़क गई और 45 लोगों की जिंदगियां एक साथ खत्म हो गईं।
– सवारियों ने सीधे तौर पर आरोप लगाया कि कंडक्टर की लापरवाही से बड़ा हादसा हो गया। अगर बस की मरम्मत करवाई होती, तो हादसा टल सकता था।
– घटनास्थल से कुछ दूरी पहले बस से उतरी सवारियों ने पुलिस व अन्य बचाव दल के समक्ष यह बात कही। उनका कहना था कि अगर बस को खराबी के बाद न चलाते तो शायद सब सलामत होते।
मुझे लगा भगवान सबको सलामत रखेगा पर एेसा हुअा नहीं
– चौपाल के गुम्मा में हुए बस हादसे में 45 लोगों की मौत हो गई। 47 सवारियों से भरी इस बस में दो लोग जिंदा बचे। इनमें बस कंडक्टर और दूसरा चौपाल का रहने वाला रोहित शामिल हैं। दोनों ने ही बस से कूद कर अपनी जान बचाई।
– रोहित ने बताया कि 45 लोगों की मौत के इस खौफनाक मंजर को उन्होंने अपनी आंखों से देखा।
– उन्होंने बताया कि इस घटना को याद करके ही रूह कांप जाती है। उम्र भर वे इस हादसे को नहीं भुला पाएंगे। वह कहते हैं कि मेरी आंखों के सामने ही लोग दम तोड़ रहे थे, मैं बिल्कुल बेबस था, करता भी क्या। इस मंजर को देखकर मैं बेसुध हो गया।
– राेहित ने बताया कि बस पलटे खाते हुए टाैंस नदी में समा गई। मुझे लगा कि ईश्वर सबको सलामत रखेगा, लेकिन एेसा नहीं हुआ। मैं तो बच गया, लेकिन कई अपने इस हादसे में मारे गए।
– प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि चारों तरफ लाशें बिछी हुई थीं। कई शवों के शरीर के अंग अलग अलग हो गए थे। ऐसे में प्रशासन को शिनाख्त करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
– चौपाल के गुम्मा के पास जिस जगह से निजी बस नीचे गिरी, वहां से कुछ दूर पहले पिछले साल एक बस गिर खाई में गिर गई थी। करीब 18 लोगों की मौत हो गई थी।
 
बात मान लेता तो बच जाती जान
– रोहित ने बताया कि वे इस बस में अपने घर के लिए आ रहे थे। बस में तकनीकी खराबी आई। इसके पट्टे टूट गए।
– चालक और परिचालक दोनों ने अस्थाई व्यवस्था कर पट्टों को जोड़ दिया।
– यह देख सवारियों ने बस को चलाने से इनकार किया, लेकिन बस फिर भी चलाई गई और करीब अाठ किलोमीटर के बाद बस अनियंत्रित होकर दुर्घटनाग्रस्त हो गई।
 
28 सीटर बस में थे 47 यात्री
– उत्तराखंड से आ रही बस में महज 28 यात्रियों को ही बैठाने की क्षमता थी। बावजूद दूरदराज के क्षेत्र में बस की कमी के चलते यात्री क्षमता से ज्यादा भरे गए थे। इसे भी घटना का कारण माना जा रहा है।
– हादसे की जांच के लिए अभी कमेटी गठित होनी होगी, उसके बाद ही पूरे हादसे के बारे में पता चल पाएगा।

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