स्पोर्ट्स

जिनपर भरोसा नहीं उनका प्रचार नहीं करुंगा : विराट

टीम इंडिया के कप्तान विरोट कोहली ने कहा है कि वह उन ब्रैंड्स के विज्ञापन फिर नहीं करेंगे, जिन पर उन्हें भरोसा नहीं है। विराट ने हाल में शीतल पेय कंपनी पेप्सिको के साथ अपना करार आगे नहीं बढ़ाया था। कोहली ने कहा, ‘मैं अब उन ब्रैंड्स के साथ करार नहीं करता, जिनका उपयोग मैं स्वयं नहीं करता।जिनपर भरोसा नहीं उनका प्रचार नहीं करुंगा : विराट

यहां तक कि पेप्सी के साथ रिश्ते खत्म करने के बाद बाद भी मेरे पास कुछ इस तरह के ब्रैंड्स के ऑफर आए, जिन्हें मैंने मना कर दिया। मैं ऐसी किसी भी चीज से जुड़ना नहींचाहता, जिसका इस्तेमाल मैं नहीं करता या जिसपर भरोसा नहीं करता।’ वहीं एक अल्कोहल ब्रैंड से जुड़े होने पर अपनी सफाई में उन्होंने कहा, ‘मैं इस ब्रैंड से जुड़ा जरुर हूं, लेकिन मैं अल्कोहल का विज्ञापन नहीं कर रहा हूं। मैं एनर्जी ड्रिंक का विज्ञापन कर रहा हूं।’ उन्होंने पिछले सप्ताह प्यूमा के साथ इस नए ब्रैंड वन-8 को पेश किया था।

जर्मन स्पोर्ट्स लाइफस्टाइल कंपनी नए ब्रैंड के अपैरल, फुटवियर और एक्सेसरीज के लिए डिजाइन, प्रॉडक्ट, रिटेल और कम्युनिकेशन मुहैया कराएगी। कोहली ऑडी, एमआरएफ, टिसॉ, जियोनी, प्यूमा, बूस्ट, कोलगेट और विक्स समेत कुल 17 ब्रैंड्स को एंडोर्स कर रहे हैं। उन्होंने फिटनेस से जुड़े वेंचर्स चेन ऑफ जिम, टेक स्टार्टअप कॉन्वो और कुछ अपैरल ब्रैंड में निवेश किया है। कोहली ने कहा कि आने वाले दिनों में वह सिर्फ विज्ञापन के बजाय और ब्रैंड्स में निवेश कर उनसे जुड़ेंगे। उन्होंने बताया, ‘मैं सिर्फ ब्रैंड्स से पैसे कमाने के बजाय बिजनस तैयार करने पर भी ध्यान दूंगा।’

उनके प्लान में वन-8 को विदेश तक पहुंचाना और उन कैटेगरीज को सपोर्ट करना शामिल हैं, जिनमें वह भरोसा करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मुमकिन है कि मेरे निजी अनुबंध खत्म हो जाएं, लेकिन यह मेरा ब्रैंड है और किसी के साथ इसमें निवेश नहीं कर रहा हूं। मैं इसे सिर्फ अपने क्रिकेट के करियर तक नहीं देखता हूं। यह सिर्फ एक वक्त तक सीमित नहीं रहेगा। ऐसा नहीं है कि जब मैं खेलना छोड़ दूंगा, तो मैं अपना बैग पैक कर ब्रैंड से दूर चला जाऊंगा।’ कोहली का कहना था कि भविष्य में उनका निवेश हेल्थ और वेलनेस में होगा।

फिटनेस की अवधारणा बदली

कोहली ने टीम इंडिया में फिटनेस की अवधारणा को ही बदल डाला है। विराट ने सिर्फ खुद को, बल्कि पूरी टीम को फिट देखना चाहते हैं। इस मिशन में उन्हें साथ मिल रहा है कंडनिशिंग ट्रेनर शंकर बासु का। बासु की ही सिफारिश पर भारतीय टीम के लिए व्यापक फिटनेस कार्यक्रम तैयार किया गया है। डीएनए परीक्षण या आनुवंशिक फिटनेस परीक्षण इसी का परिणाम है। यो-यो टेस्ट भी बासु की ही परियोजना है।

न सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाज, बल्कि एथलीट भी शंकर बासु कहते हैं, ‘फिटनेस के लिहाज से आपको विराट से पहले की भारतीय टीम और अब की टीम पर गौर करना चाहिए। विराट न सिर्फ बेहतरीन बल्लेबाज हैं, बल्कि एक चैंपियन एथलीट भी हैं, जो चीते जैसा शक्तिशाली है।’ ये बासु ही हैं, जो विराट को पहली बार 2013 में उच्च स्तरीय फिटनेस हासिल करने के बारे में विस्तार से बताया। विराट भी कह चुके हैं, ‘मुझे ऐसा महसूस हुआ था कि अगर दुनिया के सर्वश्रेष्ठ क्रिकेटर बनने की होड़ में शामिल होने के लिए टॉप क्लास एथलीट भी बनना पड़ेगा।’

कभी जोकेविच जैसे बनना चाहते थे

विराट कहते हैं, ‘फिटनेस के लेवल पर आज मैं खुद को टेनिस स्टार नोवाक जोकेविच के करीब पाता हूं।’ दरअसल, शंकर बासु ने कभी विराट को जोकोविच जैसी फिटनेस पाने की सलाह दी थी। और अब खुद बासु को लगता है कि फिटनेस के मामले में जोकोविच को विराट से सीख लेनी चाहिए। विराट पूरी तरह प्रोफेशनल क्रिकेटर हैं, जो अपनी फिटनेस के अलावा अपने खानपान का ख्याल रखते हैं। अंडर-19 लेवल से ही उन्होंने इस ओर सोचना शुरू कर दिया था।
19ईएमएस फीचर

Related Articles

Back to top button