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ट्रेन दुर्घटना के सामने सब बेकार साबित हो रही रेलवे की सभी तकनीक

लगातार हो रहीं ट्रेन दुर्घटनाओं के सामने रेलवे की तमाम तकनीक बौनी साबित हो रही है। पिछले छह महीनों में 46 ट्रेनें पटरी से उतर चुकी है, हादसे में कई लोगों की जान जा चुकी है, पर रेलवे अपना पीठ थमपथपाते हुए कहता है कि भारतीय रेल ऑटोमेटिक ट्रेन प्रोटेक्शन सिस्टम तकनीक से लैस है। विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस की सहायता ली जाती है। ट्रेन प्रोटेक्शन एंड वार्निंग सिस्टम तकनीक का विकास किया गया  है। ट्रेन कॉलिजन एवायडेंस सिस्टम है व पराश्रव्य दोष संसूचक तकनीक विकसित की जा रही है।
रेलवे की सभी तकनीकी उपलब्धियां ट्रेनों की टक्कर के सामने कमतर साबित हो रही है। जबकि हाई स्पीड बुलेट ट्रेन चलाने के दावे करने के साथ ही यह भी कहा जा रहा है कि दुर्घटनाओं में कमी लाने के लिए नियमित तौर पर आधुनिक प्रौद्योगिकी को अपनाया जा रहा है। प्रत्येक दो महीने में एक मंडल का संरक्षा ऑडिट किया जाता है। रेलवे का दावा है कि उसके पास विजिलेंस कंट्रोल डिवाइस (वीसीडी) सिस्टम है।

यह डिवाइस गाड़ी चलाते समय ड्राइवर के सभी कार्यकलापों जिसमें ब्रेकिंग, हार्न, थ्रोटल हैंडल को मॉनिटर करता है। ड्राइवर निश्चित समय तक कोई कार्यकलाप नहीं करता है तो उसे ऑडियो-विज्यूअल इंडिकेशन प्राप्त होता है। प्रतिक्रिया नहीं देने पर ऑटोमेटिक ब्रेक लग जाता है। बावजूद हादसे में कमी नहीं आ रही है।

यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम का दिल्ली-आगरा रूट पर होना है परीक्षण 

इसी तरह ट्रेन प्रोटेक्शन वार्निंग सिस्टम (टीपीडब्ल्यूएस) तकनीक से भी हादसा रोकने का दावा किया जाता है। इस तकनीक का काम हैकि ड्राइवर को गलती से खतरे पर सिग्नल को पार करने व अधिक गति के कारण जिससे टक्कर हो सकती है के लिए चेतावनी देना है। यह यूरोपियन ट्रेन कंट्रोल सिस्टम पर आधारित है।

बावजूद दुर्घटनाएं नहीं रुक रही है। हालांकि इस सिस्टम का दिल्ली-आगरा रूट पर परीक्षण होना है। इसी तरह पिछले कई साल से ट्रेन कॉलिजन एवायडेंस सिस्टम (टीसीएएस) का परीक्षण किया जा रहा है।

इसे देश में ही विकसित करने की पॉयलटन परियोजना शुरू करने की बात की जा रही है, बावजूद हादसे नहीं थम रहे है। इसी तरह रेलवे मंत्रालय त्रिनेत्र तकनीक विकसित करने की बात भी कर रहा है। हालांकि इस तकनीक से बेहतर परिणाम आने की संभावनाएं है।

साल             दुर्घटना
2014-15  –   135 
2015-16  –  107 

वर्ष 2016-17 (1 अप्रैल से 6 फरवरी के बीच) 95 दुर्घटनाएं दर्ज की गईं। इसमें पिछले छह महीने में 46 दुर्घटनाएं हुई हैं।

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