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दिल्ली पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर जेटली ने लिखा ब्लॉग, कहा- न किसी की हार हुई न किसी की जीत

शक्तियों को लेकर केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार के बीच की खींचतान से हर कोई वाकिफ है। कई बार दिल्ली सरकार अपने काम में रोड़ा अटकाने के लिए केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहरा चुकी है। अब इस मामले पर स्वास्थ्य लाभ ले रहे केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने एक ब्लॉग लिखा है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर अपने विचार जाहिर किए हैं। ब्लॉग में उन्होंने इस बात को साफ किया है कि फैसले को किसी एक की हार या जीत के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए।

जेटली का कहना है कि जिन मुद्दों पर सुप्रीम कोर्ट ने कोई राय नहीं दी है उसे किसी पक्ष विशेष का समर्थन नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने लिखा, ‘सुप्रीम कोर्ट ने कुछ मुद्दों पर साफतौर से कुछ नहीं कहा है। इसी वजह से इसे कोर्ट का किसी एक पक्ष के लिए विशेष झुकाव या समर्थन नहीं माना जाना चाहिए।’ जेटली ने कहा चूंकि पुलिस दिल्ली सरकार के अधिकार क्षेत्र में नहीं है इसलिए दिल्ली सरकार के पास किसी जांच एजेंसी को नियुक्त करने का अधिकार नहीं है। दिल्ली सरकार ने पहले ऐसा किया है जोकि गलत है।

वित्तमंत्री ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि दिल्ली एक पूर्ण राज्य नहीं है। उन्होंने लिखा, ‘दिल्ली के उपराज्यपाल की भूमिका बाकी राज्यों के राज्यपालों जैसी नहीं है। वह एक तरह से प्रशासनिक कार्यों के लिए नियुक्त किए गए प्रतिनिधि हैं।’ जेटली का कहना है कि कोर्ट के फैसले को दिल्ली सरकार के पक्ष में ना कहते हुए यह कहा जाना चाहिए कि दिल्ली की चुनी हुई सरकार की शक्तियों को मान्यता देते हुए राष्ट्रीय राजधानी के हित में केंद्र सरकार को सर्वोपरि रखा गया है।

फैसले को संविधान की मूलभावना के तहत बताते हुए जेटली ने लिखा, ‘फैसला मुख्य रूप से संविधान की मूल भावना और संविधान द्वारा किए गए प्रावधानों को ही स्थापित करता है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में न तो किसी की शक्तियों का विस्तार किया है और ना ही किसी की शक्तियां पहले की तुलना में कम की हुई हैं। हालांकि राज्य की चुनी हुई सरकार पर बल जरूर दिया गया है। लेकिन संघशासित प्रदेश होने की वजह से दिल्ली में सत्ता और शक्तियों का विभाजन चुनी हुई सरकार के साथ ही केंद्र की सरकार के पास भी मौजूद है।’

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