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दिल्ली में किसानो को समर्थन देने पहुंचे राहुल गाँधी व् केजरीवाल, राहुल बोले ‘बदलो देश का पीएम’

नई दिल्लीः मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करने के लिए एक बार फिर से देशभर के किसान संसद मार्च करेंगे। किसानों की कर्जमाफी और फसलों की लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य दिए जाने समेत कई मांगों को लेकर विभिन्न राज्यों के किसान (किसान मुक्ति मार्च ) दिल्ली में इकट्ठा हुए हैं। दो दिवसीय किसान मुक्ति मार्च आज संसद की ओर कूच कर रहा है। किसानों ने सरकार और प्रशासन को चेताया है कि अगर उन्हें संसद की ओर जाने से रोका गया तो फिर वे न्यूड प्रदर्शन करेंगे। किसान (किसान मुक्ति मार्च) इस बार सिर्फ दो मांगों को लेकर यह आंदोलन कर रहे हैं। उनकी पहली मांग है कि उन्हें कर्ज से पूरी तरह मुक्ति दी जाए और दूसरी अपनी दूसरी मांग में फसलों की लागत का डेढ़ गुना मुआवजा चाहते हैं। तीसरी मांग है कि वह विशेष संसद सत्र चाहते हैं। ऐतिहासिक रामलीला मैदान पर लाल टोपी पहने और लाल झंडा लिए किसानों ने ‘अयोध्या नहीं, कर्ज माफी चाहिए’ जैसे नारे लगाते दिखे। वे रात रामलीला मैदान में ही बिताते दिखे और आज यानी शुक्रवार को अपनी मांगों को लेकर संसद की तरफ मार्च करेंगे। किसानों के इस आंदोलन को डाक्टर, वकील, पूर्व सैनिक, पेशेवर और छात्रों सहित समाज के तमाम वर्गों के लोगों का साथ मिला है। इतना ही नहीं, पूर्व पीएम एचडी देवगौड़ा ने भी अपपना समर्थऩ दिया है। पुलिस के मुताबिक, किसानों के मार्च को देखते हुए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। केजरीवाल ने कहा कि मोदी जी जितनी चिंता आपको अंबानी, अडानी की रहती है उसका 10 फीसदी चिंता भी अगर किसानों की कर लें तो किसानों को आंदोलन करने की जरूरत नहीं होगी और उनकी सभी समस्याएं हल हो जाएंगी। अगर आप ऐसा नहीं करते तो अगली बार आप वोट के लिए भी अंबानी, अडानी के पास ही जाइयेगा। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि बीजेपी ने पिछले चुनाव से पहले कहा था कि स्वामीनाथ आयोग की रिपोर्ट लागू करेंगे उसका क्या हुआ। किसान अपना हक मांग रहे हैं। उनको उनका हक मिलना चाहिए। अरविंद केजरीवाल ने कहा कि स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों का सभी कर्ज माफ होना चाहिए। किसानों को उनकी फसल का पूरा दाम मिलना चाहिए। जंतरमंतर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर जमकर हमला बोला। उन्होंने कहा कि कानून बदलना पडेगा, पीएम बदलना पड़े, सीएम बदलना पड़े, कानून बनाने पड़े तो किसानों के लिए बदल डालिए। हम किसानों की आवाज उठाना बंद नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि कोई भी सरकार किसान का अपमान करेगी। देश के युवा को बदनाम करेगी, देश की जनता उसे हटाकर रहेगी। देश का किसान जो चाहेगा वही हम करेंगे। किसानों के बीच पहुंचे कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि आज हिन्दुस्तान के सामने दो बड़े मुद्दे हैं। एक मुद्दा हिन्दुस्तान के किसान के भविष्य का मुद्दा और दूसरा हिन्दुस्तान के युवाओं के भविष्य का मुद्दा है। पिछले साढ़े चार सालों में नरेंद्र मोदी ने कई उद्योगपतियों के कर्ज माफ किए।

किन मांगों को लेकर किसान कर रहा है प्रदर्शन

किसानों को कर्ज मुक्त बनाने और फसल की लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिए जाने की मांग को लेकर दो दिवसीय आंदोलन के पहले दिन गुरुवार को किसानों के साथ डाक्टर, वकील, पूर्व सैनिक, पेशेवर और छात्रों सहित समाज के तमाम वर्गों के लोगों के समूह रामलीला मैदान में एकत्र हो गये। देश के विभिन्न भागों से दिल्ली के प्रवेश मार्गों पर एकत्र होकर आंदोलनकारियों का रामलीला मैदान तक पैदल और वाहनों से पहुंचने का सिलसिला देर शाम तक जारी रहा और आज यानी शुक्रवार को संसद मार्च करेंगे ये किसान। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले लगभग 200 किसान संगठनों, राजनीतिक दलों और अन्य समाजिक संगठनों से किसानों की मांग का समर्थन करते हुये आंदोलन में भागीदारी की है। समिति के महासचिव अवीक शाहा और स्वराज इंडिया के संयोजक योगेन्द्र यादव की अगुवाई में दक्षिण पश्चिमी दिल्ली के बिजवासन से सुबह शुरु हुयी किसान मुक्ति यात्रा लगभग 25 किमी की पदयात्रा कर देर शाम रामलीला मैदान पहुंची। अखिल भारतीय किसान सभा के सचिव अतुल कुमार अनजान सहित संगठन के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी रामलीला मैदान में आंदोलनकारियों के लिये सुविधाओं का लगातार जायजा लेते रहे। अनजान ने बताया कि नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और गुरुग्राम की ओर से भी किसानों के समूह पैदल और वाहनों से रामलीला मैदान पहुंच रहे हैं। फरीदाबाद की ओर आश्रम होते हुये रामलीला मैदान पहुंच रही किसान मुक्ति यात्रा की अगुवाई सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर और वरिष्ठ पत्रकार पी साईनाथ ने की। इस बीच पूर्व सैनिकों के संगठन ने भी किसानों की मांग का समर्थन करते हुये किसान मुक्ति यात्रा में शिरकत की। संगठन के प्रमुख मेजर जनरल सतबीर सिंह ने कहा कि पूर्व सैनिक किसान आंदोलन में दो दिन तक साथ रहेंगे। अनजान ने बताया कि यह पहला अवसर है जब किसानों के समर्थन में डॉक्टर, वकील, शिक्षक, रंगकर्मी और छात्र संगठनों सहित समाज के सभी वर्गों ने भी किसान आंदोलन में हिस्सेदारी की है। साईनाथ की अगुवाई में गठित समूह ‘नेशन फॉर फार्मर्स’ के बैनर तले विभिन्न सामाजिक समूहों ने आंदोलन में शिरकत की है। सभी संगठनों के कार्यकर्ता बिजवासन, मजनू का टीला, निजामुद्दीन और आनंद विहार से किसान आंदोलनकारियों के साथ रामलीला मैदान पहुंचे। अनजान ने बताया कि रामलीला मैदान में सरकारी और गैरसरकारी स्तर पर स्वास्थ्य, भोजन और पानी सहित अन्य जरूरी सुविधायें मुहैया करायी जा रही है। लगभग 60 हजार लोगों की क्षमता वाले रामलीला मैदान में एम्स, आरएमएल, लोकनायक, हिंदूराव, अरुणा आसिफ अली अस्पताल सहित दिल्ली के विभिन्न अस्पतालों के करीब 25 से 30 डॉक्टरों ने रामलीला मैदान पर किसानों के लिए एक निशुल्क स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया। साथ ही विभिन्न सामाजिक संगठनों की ओर से भोजन और रात के समय सर्दी से बचने के लिये जरूरी कपड़ों की व्यवस्था की गयी। पुलिस ने बताया कि बृहस्पतिवार को रामलीला मैदान में पुलिसबल तैनात किया गया है। साथ ही शुक्रवार को रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक किसान मार्च मार्ग में भी सुरक्षा और यातायात के विशेष प्रबंध किए गए हैं। पुलिस ने कहा कि किसानों के मार्च के दौरान सड़कों के दोनों तरफ रस्सी होगी और दूसरी तरफ पुलिस तैनात होगी ताकि सुनिश्चित किया जा सके कि यातायात प्रभावित नहीं हो। अपने हक के लिए आंदोलन कर रहे किसानों के प्रति पूर्ण समर्थन का आश्वासन देते हुए पूर्व प्रधानमंत्री एच. डी. देवेगौड़ा ने बृहस्पतिवार को कहा कि कोई भी सरकार किसानों के समर्थन के बिना नहीं टिक सकती है। हजारों की संख्या में किसान देश के कोने-कोन से चलकर राजधानी दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंचे हैं ताकि सरकार के सामने अपने हक की मांग रख सकें। किसानों को संबोधित करते हुए गौड़ा ने कहा कि वह उनके दुख और दिक्कतों को समझते हैं क्योंकि वह खुद किसान के बेटे हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं आपको आश्वासन देने आया हूं कि संघर्ष की इस घड़ी में हम आपके साथ हैं। मैं आपके दुख और तकलीफों को समझता हूं।’ बाद में रामलीला मैदान में संवादाताओं से बातचीत के दौरान उन्होंने केन्द्र सरकार से किसानों की मांग सुनने को कहा- उन्होंने कहा, ‘कोई सरकार किसानों के (समर्थन) बिना नहीं चल सकती है। केन्द्र सरकार को उनकी मांगें सुननी चाहिए। इस देश के किसान जाग चुके हैं और उन्हें बेवकूफ नहीं बनाया जा सकता।’  देश के विभिन्न इलाकों मसलन, आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, तमिलनाडू, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश आदि जगहों से किसान ट्रेन, ट्रैक्टर्स से इस किसान मुक्ति मार्च में आए हैं। ओडिशा के 60 वर्षीय किसान भ्रामर विशी ने कहा कि तीन साल पहले मैंने 3 लाख रुपये लिए थे और अब इसे चुकता करना मुश्किल हो रहा है। मैं अपना कर्ज माफ करवाना चाहता हूं।

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