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दीदी तेरा तेवर दिखाना, ये है मोदी-शाह, CBI या चुनाव हैं निशाना?

केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कड़े तेवर दिखाकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चर्चा में हैं. उन्होंने सरकार की कार्रवाई के खिलाफ हमला बोला है. कोलकाता पुलिस कमिश्नर के घर सीबीआई टीम पहुंचने के बाद मुख्यमंत्री रविवार रात से ही धरने पर हैं. हालांकि, ममता का इतने तेवर में आना पहली बार नहीं हुआ है, वह सालों पहले भी दबंग विपक्ष नेता के रूप में सामने आ चुकी हैं.
दीदी तेरा तेवर दिखाना, ये है मोदी-शाह, CBI या चुनाव हैं निशाना?2011 में ममता बनर्जी पहली बार पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनी थीं. इससे पहले उन्होंने कई तेज-विरोध प्रदर्शनों में हिस्सा लिया था. उनकी जीत के पीछे भी इन धरना-प्रदर्शनों से मिली लोकप्रियता को एक वजह माना गया. 2007 में नंदीग्राम के मुद्दे पर उन्होंने काफी बड़ा आंदोलन किया था.
नंदीग्राम आंदोलन इतना बड़ा हो गया कि पुलिस फायरिंग में 14 किसानों को जान गंवानी पड़ी. लेकिन तत्कालीन सीएम बुद्धादेव भट्टाचार्य को केमिकल हब बनाने के प्रोजेक्ट से पीछे हटना पड़ा था.
इसी तरह 2008 में सिंगूर में भी ममता बनर्जी ने किसानों के समर्थन में टाटा मोटर्स के नैनो प्रोजेक्ट और जबरन भूमि अधिग्रहण के खिलाफ बड़ा प्रदर्शन किया था. ममता तब अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर भी बैठ गई थीं. आखिरकार प्रोजेक्ट को वापस लेना पड़ा.
इससे पहले जनवरी 1993 में केंद्रीय मंत्री रहते हुए ममता के राइटर्स बिल्डिंग पर किए गए विरोध-प्रदर्शन को ऐतिहासिक माना जाता है. तब ममता बनर्जी एक गूंगी-बहरी लड़की के साथ हुए रेप के मामले को लेकर पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री ज्योति बसु के राइटर्स बिल्डिंग स्थित दफ्तर पहुंच गई थीं. आरोप था कि लड़की के साथ एक सीपीएम वर्कर ने रेप किया.
लेकिन दफ्तर में सीएम ने मिलने से इनकार कर दिया था, तब ममता ने वहां से जाने से मना कर दिया था. पुलिस ने उन्हें खींचकर बाहर किया था. तभी ममता ने फैसला किया था कि वह तब तक राइटर्स बिल्डिंग नहीं जाएंगी, जब तक वह सीपीएम को सत्ता से बाहर नहीं कर देतीं और उन्होंने ऐसा ही किया भी.
वहीं, तृणमूल कांग्रेस पार्टी के मुताबिक, तमाम आंदोलनों का सफल नेतृत्व करने के बाद ममता को लगा कि अब आगे बढ़ने के लिए कांग्रेस पार्टी से अलग चलने की जरूरत है. इसी सोच के साथ ममता ने 1 जनवरी 1998 को अलग पार्टी की स्थापना कर दी. ममता बनर्जी ने तब कहा था- ‘पश्चिम बंगाल में एक आंदोलन शांति से आगे बढ़ रहा है. लोग इतिहास लिखने जा रहे हैं.’

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