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नीतिगत ब्याज दरों में आरबीआई ने नहीं किया कोई बदलाव

RBIमुंबई। बारिश की कमी के खाद्य वस्तुओं की कीमतों पर असर से चिंतित आरबीआई ने आज अपनी नीतिगत ब्याजदरों को पहले के स्तर पर बनाए रखने का फैसला किया, लेकिन सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) में 0.5 प्रतिशत की कटौती की घोषणा की।  एसएलआर में कमी से बैंकों को सरकारी प्रतिभूतियों में पहले से कम नकदी रखनी होगी और इससे बैंकों के पास बाजार को देने के लिए 40,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त नकदी सुलभ होगी। आरबीआई के गवर्नर रघुराम राजन ने लगातार तीसरी बार मुख्य दरें अपरिवर्तित रखते हुए कहा मानसून में अनिश्चितता के मददेनजर मुद्रास्फीति बढ़ने और इसका असर खाद्य उत्पादन पर भी पड़ने का जोखिम है। साथ ही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमतों में भी उतार-चढ़ाव चल रहा है। रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने मौद्रिक नीति की तीसरी द्वैमासिक समीक्षा में कहा नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखकर जून की तरह ही सतर्कता के साथ मौद्रिक उपाय करने की नीति बरकरार रखना उचित है। इस तरह रेपो दर 8 प्रतिशत, रिवर्स रेपो 7 प्रतिशत और नकद आरक्षी अनुपात 4 प्रतिशत पर बनाए रखा गया है। बैंक दर 9 प्रतिशत पर बरकरार रहेगी बैंकों के पास ऋण देने योग्य धन बढाने के उद्देश्य से राजन ने 9 अगस्त से शुरू हो रहे पखवाड़े के लिए सांविधिक नकदी अनुपात (एसएलआर) 0.50 प्रतिशत घटाकर 22 प्रतिशत कर दिया। जून में भी इसी तरह की पहल के जरिए बैंकों के लिए अतिरिक्त 40000 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए थे। एसएलआर व्यवस्था के तहत बैंकों को अपनी मांग और मियादी जमा का निर्धारित हिस्सा सरकारी प्रतिभूतियों में रखना अनिवार्य होता है। बैंकों को रेपो के तहत फौरी नकदी की सुविधा के विषय में राजन ने कहा कि एक दिन के उधार की सुविधा के तहत बैंकों की कुल जमा के 0.25 प्रतिशत राशि तक और 7 से 14 दिन के उधार की विशेष रेपो सुविधा के तहत कुल जमा के 0.75 प्रतिशत तक उधार की सुविधा जारी रखी जाएगी। गौरतलब है कि 0.25 प्रतिशत तक एक दिन का उधार घोषित रेपो दर (8 प्रतिशत की दर पर) तथा 7-14 दिन का उधार नीलामी के आधार पर दिया जाता है जो समान्यत: उंची दर पर पड़ता है।

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