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पंजाब में बढ़ते नशे पर सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी

supreme-court-5620efd0b95af_exlपंजाब में नशे के बढ़ते प्रकोप पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मादक पदार्थों के तस्कर राज्य के नौजवानों का भविष्य खराब कर रहे हैं। इसका दायरा दिनों दिन बढ़ता जा रहा है।

अदालत ने तीन किलोग्राम चरस रखने के आरोप में 10 वर्ष की सजा पाए एक ट्रक ड्राइवर मोहिंदर पाल को यह कहकर जमानत देने से इनकार कर दिया कि ऐसे लोगों के प्रति किसी तरह की रियायत नहीं दिखाई जानी चाहिए। अदालत द्वारा यह संदेश दिया जाना जरूरी है कि ऐसे लोगों से सख्ती से निपटने की आवश्यकता है।

सुप्रीम कोर्ट में पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के 21 अप्रैल 2015 के उस फैसले को चुनौती दी गई है, जिसमें गुरदासपुर की अदालत द्वारा मोहिंदर को दोषी ठहराए जाने के फैसले को सही ठहराया गया था।

पाल के वकील ऋषि मल्होत्रा ने चीफ जस्टिस एचएल दत्तू की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि उसका मुवक्किल आठ महीने जेल में काट चुका है। जब तक कोर्ट याचिका का निपटारा नहीं कर देता, तब तक पाल को जमानत पर रिहा किया जाए। करीब दो हफ्ते पहले सुप्रीम कोर्ट की एक अन्य पीठ ने इसी तरह के मामलों की सुनवाई करते हुए हिमाचल प्रदेश सरकार से कहा था कि वह पहाड़ पर मादक पदार्थों का उत्पादन बंद करे।

यह टिप्पणी इसलिए अहम
पंजाब के महिला एवं बाल सामाजिक सुरक्षा विकास विभाग के गत वर्ष के सर्वेक्षण के मुताबिक पंजाब के गांवों में रहने वाले 67 फीसदी परिवारों का कम से कम एक सदस्य ड्रग्स का आदी है।

इससे भी गंभीर बात यह है कि ड्रग्स के कारण हर हफ्ते एक मौत होती है। ड्रग्स का सेवन करने वालों में सबसे अधिक तादाद 16 से 35 आयु वर्ग के लोगों की है।

 
 

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