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पंडित दीनदयाल की विचारधारा को आगे बढ़ाने का सभी को लेना चाहिये संकल्प -हृदय नारायण दीक्षित

लखनऊ। उ0प्र0 विधान सभा के अध्यक्ष हृदय नारायण दीक्षित ने कहा कि सभी को उनके विचार धारा को बढाने व और आगे ले जाने के लिए सभी को संकल्प लेना चाहिए। श्री दीक्षित भारतीय नागरिक परिषद की ओर से गोमती होटल में पं0 दीन दयाल उपाध्याय के जयन्ती समारोह के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम मेें बतौर मुख्य अतिथि के रुप मेंएकात्म मानववाद सर्वांगीण विकास के मूल मंत्र पर गोमती होटल में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि पं0 दीन दयाल का जोर मैं और हम पर था। मैं से हम हो जाना क्योंकि मैं दुःख का कारण है और हम को भारतीय चिन्तन में सुख का मार्ग माना गया है। उन्होंने कहा कि शून्य का अस्तित्व शून्य ही नहीं होता। यह दाएं बैठकर अंकों की शक्ति 10 गुना बढ़ाता है और बाएं बैठकर अस्तित्वहीन। शून्य का मर्म सबसे पहले भारत में ही जाना गया था। ‘अनजाने हिंदू के स्थान मूल्य सिद्धांत की खोज लोकव्यापी महत्व की है। आश्चर्य है कि यूनानी गणितज्ञों ने इसकी खोज क्यों नहीं की।’‘
विधान सभा अध्यक्ष ने सामूहिकता पर जोर देते हुए प्राचीन भारतीय दर्शन का उद्वहरण देते हुए कहा कि लखनऊ केवल तहजीब रीति प्रीति की वजह से लखनऊ नही है। लखनऊ की अन्य घटको की वजह से है इसी तरह मानव घटकों के कारण नही बने घटको के कारण यन्त्र बने इसी प्रकार भूमि जल मिलकर राष्ट्र की देह का निर्माण करते है। ऋगवेद का अन्तिम सूत्र इसी पर आधारित है विदेशियों ने भारत की रीति प्रीत को कई बार तोड़ाने मरोडने की कोशिश की परन्तु भारत की चैतन्यता समाप्त नही कर सके। कार्यक्रम के आरम्भ भारतीय नागरिक परिषद के शैलेन्द्र द्विवेदी, चन्द्र प्रकाश, नरेन्द्र,ए0पी0 सिहं ने अपने विचार पं0 दीन दयाल उपाध्याय के जयन्ती समारोह के अवसर पर एकात्म मानववाद पर सर्वांगीण विकास के मूल मंत्र पर अपने -अपने विचार व्यक्त किये।

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