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लोकसभा से ज्यादा भाजपा के निशाने पर सितंबर में होने वाले विधानसभा चुनाव

नई दिल्ली: कश्मीर की तीन सीटों पर चुनाव लड़ने से इनकार कर चुकी भाजपा भी राज्य के उन क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की सूची में शामिल हो गई है, जिन्होंने बर्फबारी के कारण अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर चुनाव टालने की मांग की है। भाजपा के इस कदम से कश्मीर में पार्टी की योजनाओं को लेकर थोड़ा सा भ्रम की स्थिति पैदा हो गई है।

चूंकि बीते 16 अप्रैल को जम्मू के रियासी में बोलते हुए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संकेत दिया था कि पार्टी कश्मीर में चुनाव नहीं लड़ेगी। उन्होंने कहा था कि भाजपा घाटी में कमल खिलने की जल्दी में नहीं है। सूत्रों की मानें तो भाजपा की कश्मीर को लेकर दूरगामी योजना पर काम कर रही है और उसकी निगाहें राज्य में होने वाले विधानसभा चुनावों पर है। पार्टी चाहती है कि कश्मीर की परिवारवादी पार्टियों को उनके गढ़ में मात मिल सके, और उसके बाद विधानसभा चुनाव में जीते हुए दल उसका साथ दें। बता दें कि कश्मीर में विधानसभा की 47 सीटें हैं और जम्मू में 43 सीटें हैं।

राजौरी और बारामूला में भाजपा की अच्छी पैठ
कश्मीर से जुड़ी तीनों लोकसभा सीटें मुस्लिम बहुल हैं। अनंतनाग-राजौरी और बारामूला लोकसभा क्षेत्र में भाजपा ने जनजातीय आबादी सहित अन्य लोगों में अच्छी पैठ बनाई है। भाजपा को लगता है कि क्षेत्रीय राजनीतिक दलों की लड़ाई में वह कांग्रेस को बेहतर तरीके से रोक पाएगी। सूत्रों की मानें तो इसके अलावा दूरगामी रणनीति के तहत भाजपा के नेताओं की पार्टी नेताओं की सज्जाद गनी लोन के नेतृत्व वाली पीपुल्स कॉन्फ्रेंस, सैयद मोहम्मद अल्ताफ बुखारी की जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी से बैठक भी हो चुकी है। बताया जाता है कि भाजपा ने अनंतनाग-राजौरी से गुलाम नबी आजाद, बारामुला से सज्जाद लोन और श्रीनगर से अपनी पार्टी को समर्थन देने की तैयारी थी लेकिन बाद रणनीति बदलनी पड़ी। भाजपा का यह भी प्रयास रहा कि यह दल एक-दूसरे के खिलाफ मैदान में प्रत्याशी न उतारें। इन तीनों सीटों पर एन.सी. और पी.डी.पी. भी चुनाव लड़ रही है।

चुनाव न लड़ने की यह भी है वजह
जानकारों का कहना है कि जब भाजपा अनंतनाग-राजौरी से चुनाव ही नहीं लड़ रही है, तो चुनाव को टालने की मांग कश्मीर में उसकी सियासी रणनीति को लेकर भ्रम पैदा कर रही है। जिन अन्य राजनीतिक दलों ने चुनाव टालने की मांग की है उनमें जम्मू-कश्मीर अपनी पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और डैमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डी.पी.ए.पी.) भी शामिल हैं। सूत्रों के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि घाटी में इंडिया ब्लॉक की पार्टियों एन.सी. और पी.डी.पी. के बीच सहमति नहीं बन पाने के बाद भाजपा ने तीन सीटों पर चुनाव न लड़ने का फैसला लिया था।

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