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पहली बार मीडिया के सामने आई सेना, बताया कैसे मारे आतंकी?

pathankot-terror-attack-lieutenant-general-kj-singh-568decd0b948e_exlstपठानकोट एयरबेस पर आतंकी हमले के बाद NSG, सेना और अन्य सुरक्षा एजेंसियों के संयुक्त ऑपरेशन को लेकर अधिकारियों ने चुप्पी तोड़नी शुरू कर दी है। देखिए, कैसे चला ऑपरेशन?

ऑपरेशन को नाम दिया गया था, ‘ऑपरेशन ढाकी सुरक्षा’। चंडी मंदिर स्थित वेस्टर्न कमांड हेडक्वार्टर में जीओसी-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने कहा कि एयरबेस की दोमंजिला इमारत की दूसरी मंजिल पर एयरबेस के पांच से छह कर्मचारी फंसे हुए थे और नीचे आतंकी छिपे थे। सेना ने सभी कर्मियों को सुरक्षित निकालने को प्राथमिकता दी।एक सवाल के जवाब में लेफ्टिनेंट जनरल केजेसिंह ने कहा कि पूरे ऑपरेशन में बेशक 5 दिन लगे, लेकिन सही मायनों में आतंकियों को मार गिराने में 10 से 12 घंटे का समय ही लगा था। उन्होंने कहा कि एयरबेस में प्रॉपर्टी और जान माल का नुकसान नहीं हुआ है। ऑपरेशन टीम ने आतंकियों को 500 गज के घेरे से बाहर नहीं जाने दिया।

सिंह ने पूरे रेस्क्यू ऑपरेशन की कमान ने NSG को सौंपने के फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि एयरफोर्स स्टेशन और उसमें रहने वाले हजारों लोगों की जिंदगी को ध्यान में रखते हुए ही उच्च स्तर पर एनएसजी को ऑपरेशन की कमान सौंपी गई थी। आतंकियों के पास से एंटी टैंक ग्रेनेड भी बरामद हुए हैं। एयरफोर्स, पंजाब पुलिस, बीएसएफ सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियों में तालमेल बेहतर होने के कारण ऑपरेशन सफल हुआ।सिंह के अनुसार ऑपरेशन में देरी का मुख्य कारण एयरबेस में बनी पुरानी बिल्डिंग और बंकर रहा। अधिकतर बंकर में बड़े स्तर पर स्टील का प्रयोग किया गया था, जिसका फायदा आतंकियों ने छुपने में उठाया। उसे भेद पाने में ऑपरेशन टीम को काफी समय लगा। सिंह के अनुसार एयरबेस में 3 हजार से अधिक परिवारों के 11 हजार लोग रहते हैं, लेकिन पूरे ऑपरेशन में किसी ने भी एयरबेस को छोड़ने की इच्छा जाहिर नहीं की।एयरबेस में ट्रेनिंग ले रहे थे 23 विदेशी: पठानकोट एयरबेस में आतंकी हमले के समय 23 विदेशी ट्रेनी भी मौजूद थे। लेफ्टिनेंट जनरल केजे सिंह ने कहा कि हमले के समय एयरबेस में नाइजीरिया, अफगानिस्तान, म्यांमार और श्रीलंका के सैनिक ट्रेनिंग ले रहे थे। एयरफोर्स पर इनकी सुरक्षा की अहम जिम्मेदारी थी।

आतंकी हमले की खुफिया जानकारी मिलने में विफलता को लेकर सिंह ने जवाब दिया कि आर्मी को 1 जनवरी दोपहर बाद ही सीरियस अलर्ट मिला। घटनास्थल पर आर्मी पहुंचने में देरी के सवाल पर सिंह ने कहा कि एयरबेस से कुछ किलोमीटर की दूरी पर आर्मी कैंप से तुरंत सहायता उपलब्ध कराई गई थी। पंजाब पुलिस की नाकामी पर सिंह ने सिर्फ इतना कहा कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस संबंध में कुछ कहा जा सकेगा।

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