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वैज्ञानिकों ने दुनिया को चेताया- ग्लोबल वॉर्मिग से घट सकता है ऑक्सीजन

96309-global-warmलंदन : वैज्ञानिकों ने दुनिया को चेताया है कि समुद्री तापमान बढ़ने की वजह से पृथ्वी के ऑक्सीजन स्तर में लगातार गिरावट हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप कुछ सालों में इंसान और जानवर की मृत्यु दर में व्यापक तौर पर इजाफा हो सकता है।

दुनिया के महासागरों के तापमान में 6 डिग्री सेल्सियस तक की वृद्धि देखी गई है। इस आधार पर वैज्ञानिकों ने भविष्यवाणी की है कि साल 2,100 तक ऑक्सीजन का उत्पादन रूक सकता है क्योंकि समुद्री तापमान बढ़ने से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बाधित होती है, जिसके द्वारा फाइटोप्लैंकटन (पादप प्लवक) कार्बन डाइऑक्साइड का उपभोग और ऑक्सीजन का उत्पादन (निस्तारण) करते हैं।

फाइटो प्लैंकटन को एक सूक्ष्म शैवाल (माइक्रो एल्गी) और सूक्ष्म जीव के तौर पर जाना जाता है। यह मीठे और खारे पानी के लगभग सभी स्रोतों में निवास करते हैं। इंग्लैड की लिसेस्टर यूनिवर्सिटी के मुख्य शोधविज्ञानी सर्गेई पेट्रोवस्की के अनुसार, समुद्री फाइटोप्लैंकटन पृथ्वी की लगभग दो-तिहाई ऑक्सीजन का निर्माण करने में अहम भूमिका निभाते हैं। इनके खत्म होने के परिणामस्वरूप हमारे सामने वैश्विक स्तर पर वायुमंडलीय ऑक्सीजन की कमी का संकट ख़डा हो जाएगा।

शोधार्थियों के एक समूह ने समुद्र में ऑक्सीजन उत्पादन के लिए एक नया मॉडल विकसित किया है, जो प्लैंकटन समुदाय की ऑक्सीजन उपभोग और निस्तारण जैसी बुनियादी प्रक्रियाओं की गणना करेगा। पेट्रोवस्की ने बताया, पिछले दो दशकों में ग्लोबल वार्मिग ने विज्ञान और राजनीति का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया है, इससे होने वाले परिणामों के बारे में बहुत कुछ बताया जा चुका है। लेकिन अंदाजा है कि अंटार्टिका में बर्फ के पिघलने से एक विनाशकारी वैश्विक बाढ़ आ सकती है।

 

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