राज्य

पाकिस्तान में चोटी रखने पर हिंदुओं का उड़ता है मजाक, ऐसी है वहां लाइफ

बहादुरगढ़ (हरियाणा).पाकिस्तान में चोटी रखने वाले हिंदू बाजारों में जाने से पहले टोपी पहन लेते हैं। इससे वे बाजार में लोगों की हंसी का पात्र नहीं बनते और कोई उनकी चोटी पकड़ हिलाता भी नहीं। यह कहना है पाकिस्तानी नागरिक रसराज का। दरअसल, टोपी वाली फोटो पाकिस्तानी नागरिक रसराज के लिए परेशानी का कारण बन गई। जांच एजेंसियों ने वीजा खत्म होने के बाद भी यहां रह रहे रसराज को काबू करके कागजातों की तलाशी ली तो एक आईकार्ड में उसका नाम राजा मिला जिसमें वह टोपी पहने हुए था।
पाकिस्तान में चोटी रखने पर हिंदुओं का उड़ता है मजाक, ऐसी है वहां लाइफ
मजाक से बचने के लिए लोग पहनते हैं पूरे कपड़े और सिर पर टोपी…
– जांच अधिकारियों ने समझा कि वह कोई पाकिस्तानी संदिग्ध है जो हिंदू के वेश में दिल्ली के साथ लगते बहादुरगढ़ में रह रहा है।
– दो दिन चली पूछताछ में रसराज ने बताया कि पाकिस्तान में जो भी हिंदू चोटी रखते हैं व जनेऊ धारण करके रहते हैं उन लोगों ने लोगों की हंसी ठिठोली से बचने के लिए बाजार में जाते समय पूरे कपड़े व सिर पर टोपी पहननी शुरू कर दी है। इसी कारण वह भी अपनी चोटी को छुपाने के लिए सिर पर टोपी पहनने लगा। एक फोटो भी टोपी के साथ हो गई और वही फोटो यहां जांच अधिकारियों के गले में हड्डी की तरह से फंस गई।
– दो दिन की पूछताछ के बाद जांच एजेंसियों व स्थानीय पुलिस को जब उसके पास से एक-एक कागजात असली मिले तो उसे छोड़ दिया व उसकी इच्छा के अनुसार उसे मंदिर में सेवा करने के लिए रहने की इजाजत भी दे दी।
– गौरतलब है कि रसराज को पाकिस्तानी एजेंट होने की संभावना पर दो दिन पहले आईबी ने काबू करके दिल्ली में एनआईए के अधिकारियों ने पाकिस्तान सेल में पूछताछ की थी।
 
चोटी के कारण ही छोड़ दिया था स्कूल
– पुलिस द्वारा छोड़े जाने के बाद रसराज ने शनिवार से एक बार फिर से मंदिर में सेवा का काम शुरू कर दिया है।
– मंदिर में उसने दैनिक भास्कर रिपोर्टर को अपने साथ घटी पूरी घटना के बारे में बताया कि चोटी के कारण ही पाकिस्तान में वह स्कूल नहीं जा पाया।
– स्कूल में साथी उसकी चोटी को लेकर व मूर्ति पूजा को लेकर मजाक उड़ाते थे। कोई उसकी चोटी को छेड़ देता था तो कोई राह में चलते समय हंसी करता। इससे परेशान होकर उसने स्कूल छोड़ दिया। बाद में – एक शिक्षक ने उसे घर पर ही पढ़ाना शुरू कर दिया। इस कारण उसने दस साल तक पाकिस्तान कॉरपोरेशन में सरकारी नौकरी भी की।
– परिवार के लोग उसकी शादी करना चाहते थे पर उसका दिल भगवान के भजनों में लगता था इस कारण हिंदुस्तान के मंदिरों का दौरा करने के लिए यात्री वीजा बनवाकर आ गया। अपना जीवन ब्रह्मचारी के रूप में पूरा करने का प्रण लेने के कारण मथुरा के इस्कान मंदिर से बहादुरगढ़ में तैयार हो रहे मंदिर की सेवा में भेज दिया गया।
 
दादा-दादी अलवर से हैं, पिता पंजाब में चले गए थे, तभी हो गया देश का बंटवारा
रसराज राजपूत ने बताया कि उसके परदादा व दादा राजस्थान के अलवर जिले से हैं। पिता सिंध क्षेत्र की तरफ सरकारी नौकरी करते थे। इस बीच देश का बंटवारा हो गया। उसके बाद से वे वहीं के हो गए। करीब चालीस साल पहले तक दादा दादी व अन्य परिजन पाकिस्तान उनके घर पर आते जाते थे। तब इतनी कागजी कार्यवाही नहीं थी जितनी अब हो गई है।
 
गंगा का मोह आज भी लोग छोड़ नहीं पाए हिंदू
– 1992 में पिता के निधन पर उनकी इच्छा पूरी करने के लिए बड़ा भाई रतन उनकी अस्थियों को हरिद्वार लेकर आया था।
– आज भी जिनकी अस्थियों को हरिद्वार तक पहुंचाने की व्यवस्था उनके बच्चे कर पाते है उसे पाकिस्तान के हिंदुओं में मोक्ष की प्राप्ति माना जाता है।
– वैसे वहां भी अब इस तरह की व्यवस्था है पर वहां पर गंगा का मोह आज भी लोग छोड़ नहीं पाए।
हिंदुस्तान में हूं इस कारण आजाद छोड़ दिया
– दैनिक भास्कर के साथ रसराज ने अपना डर जाहिर करते हुए कहा कि जिस तरह से वीजा समाप्त होने व टोपी वाली फोटो आदि के चलते यहां दो दिन की पूछताछ के बाद विश्वास होने पर वह फिर से मंदिर में सेवा कर रहा है ऐसा पाकिस्तान में किसी भी हाल में संभव नहीं है। वहां ऐसा कोई मामला होता तो उसका वही हाल होता जैसा अखबारों में हररोज पढ़ने को मिल रहा है।
 
आधार कार्ड सरकारी पत्र के हिसाब से बनवाए
– जिन आधार कार्ड व पेन नंबर से रसराज के लिए पाकिस्तान का एजेंट होने का शक था वह कागजात स्वयं भारत सरकार के सरकारी पत्र के हिसाब से तैयार हुए थे।
– वर्तमान सरकार ने नेपाल, बंगाल व पाकिस्तान के हिंदू जो किसी कारण से वहां से भाग आए व वापस नहीं जाना चाहते उन्हें यहां आधार कार्ड बनवाने की इजाजत दी है। उसी पत्र के हिसाब से उसका पेन नंबर व बैंक में खाता भी खोलने की इजाजत मिली है।
– इस समय दिल्ली कैंप में 1200 हिंदू रह रहे हैं उनके आधार कार्ड भी बनवाए जा रहे हैं। वहीं से उसने भी कागजात बनवाए जिसे केंद्रीय जांच एजेंसी के बड़े अधिकारियों ने ठीक माना। गलती यहां हो गई कि एक कार्ड में टाइप करने वाले कर्मचारी ने केवल राजा टाइप कर दिया तो दूसरे में रसराज। ऊपर से टोपी के कारण वह अधिक संदेह का शिकार बना।
– इस बारे में लाइनपार थाना प्रभारी कुलबीर ने बताया कि केंद्रीय एजेंसियों ने सभी कागजातों की जांच के बाद उसे बेकसूर मानते हुए वापस मंदिर में रहने की इजाजत दे दी है। फिर भी हम उस पर निगाह रखे हुए हैं।

Related Articles

Back to top button