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प्याज बचाने के लिए किसान ने बनाया देसी कोल्ड स्टोरेज

सब्जी मंडी में टमाटर की कीमतों में आग लगने के बाद अब आम आदमी के लिए बारी प्याज के आंसू बहाने की है. केन्द्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी का दावा है कि प्याज की कीमतों में जारी उछाल महज एक तत्कालिक मामला है और अगस्त के मध्य में नई फसल आने के बाद कीमतें वापस अपने उचित स्तर पर लौट आएंगी.

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प्याज बचाने के लिए किसान ने बनाया देसी कोल्ड स्टोरेजदेश में प्याज की पैदावार तो अच्छी है, लेकिन इसके एक्सपोर्ट में हो रही बढ़ोतरी की वजह से कीमतों में इजाफा हो रहा है. दूसरी ओर बरसात की वजह से कई मंडियों में सप्लाई प्रभावित हुई है, जो कीमतों को बढ़ा रही है. केन्द्रीय कृषि सचिव शोभना के पटनायक ने कहा कि अगले माह तक घरेलू मांग को पूरा करने के लिए प्याज की पर्याप्त आपूर्ति है तथा सरकार प्याज के थोक और खुदरा बिक्री मूल्य की करीब से निगरानी रख रही है.

आपको बता दें कि वित्त वर्ष 2017-18 के पहले महीने यानी अप्रैल में देश से प्याज एक्सपोर्ट में करीब 125 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. अप्रैल के दौरान देश से कुल 3,20,943 टन प्याज एक्सपोर्ट हुआ है, जबकि पिछले साल इस दौरान देश से सिर्फ 1,42,767 टन प्याज निर्यात हो पाया था.

वहीं, सरकारी आंकड़ों के अनुसार मेट्रो शहरों में प्याज का खुदरा मूल्य 32 से 40 रुपये किलो के दायरे में है. कुछ थोक बिक्री बाजारों में प्याज की कीमत 20 से 22 रुपये प्रति किलो के दायरे में है. कृषि मंत्रालय द्वारा कीमतों की करीब से निगरानी कर रहे हैं और उसका दावा है कि यह (मूल्य वृद्धि) अधिक समय तक नहीं रहेगी. उन्होंने कहा कि जल्दी तैयार होने वाली खरीफ प्याज, जो अभी तक कर्नाटक से आ जाना चाहिये था, अभी तक मंडियों में नहीं आई है क्योंकि कमजोर बरसात के कारण फसल प्रभावित हुआ है.

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कुछ राज्यों में विशेषकर आंध्र प्रदेश में जल्दी तैयार होने वाली खरीफ प्याज को खेतों से पहले से ही निकाला जा रहा है. इससे आपूर्ति में सुधार होगा और आने वाले दिनों में कीमतों में गिरावट आयेगी. राजस्थान में कुछ स्थानीय प्याज की उपलब्धता से आपूर्ति की स्थिति में सुधार होगा. महाराष्ट्र के नासिक और लासालगांव में दरों में वृद्धि होने के मद्देनजर मौजूदा समय में ओड़िशा और पश्चिम बंगाल में आंध्र प्रदेश के कुरनूल में जल्दी तैयार होने वाली खरीफ प्याज को बेचा जा रहा है.

महाराष्ट्र देश में प्याज का सबसे अग्रणी उत्पादक राज्य है. कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों में छोड़कर खरीफ उत्पादन में गिरावट आने की संभावना नहीं है. कर्नाटक में कमजोर बरसात के कारण प्याज का उत्पादन प्रभावित हुआ है. उन्होंने कहा कि अन्यथा अधिकांश राज्यों में प्याज उत्पादन की बेहतर स्थिति है. पिछले सप्ताह नासिक स्थित राष्ट्रीय बागवानी शोध एवं विकास फाउंडेशन (एनएचआरडीएफ) के निदेशक पी के गुप्ता ने संकेत दिया था कि कुछ उत्पादक राज्यों में कमजोर बरसात के कारण इस वर्ष खरीफ प्याज के खेती के रकबे में 30 से 40 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. देश के कुल प्याज उत्पादन का करीब 30 से 40 प्रतिशत खरीफ सत्र में होता है और शेष रबी सत्र से प्राप्त होता है.

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