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फिदायीन हमले में 45 मिनट में चार आतंकियों को ढेर करने वाले, सीआरपीएफ के तीन जवानों को मिला शौर्य चक्र

जम्मू-कश्मीर के बांदीपुरा में ट्रेनिंग ग्राउंड पर हुए फिदायीन हमले को नाकाम कर चारों आतंकियों को ढेर करने वाले सीआरपीएफ के तीन जवानों को अदम्य वीरता के लिए शौर्य चक्र से नवाजा गया है।एक डिप्टी कमांडेंट और शहीद हवलदार को भी शौर्य चक्र मिला है। इसके अलावा सीआरपीएफ के दो अन्य जवानों को राष्ट्रपति के वीरता पुलिस पदक और 89 जवानों को वीरता का पुलिस पदक प्रदान किया गया है।

फिदायीन हमले में 45 मिनट में चार आतंकियों को ढेर करने वाले, सीआरपीएफ के तीन जवानों को मिला शौर्य चक्र

गत वर्ष पांच जून को बांदीपुरा में फिदायीन हमला हुआ था। आतंकी ट्रेनिंग परिसर के अंदर घुस आए थे। उन्होंने पहले हैंडग्रेनेड से हमला किया और फिर अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। सीआरपीएफ के कई जवानों को तो संभलने का मौका तक नहीं मिला। कुछ जवान ऐसे भी थे, जिनके पास हथियार नहीं था। 45 बटालियन के हवलदार एएस कृष्णा, सिपाही के दिनेश राजा और प्रफुल्ल कुमार ने मोर्चा संभाला। ग्रेनेड के हमले के बाद वहां कुछ ठीक से दिखाई नहीं पड़ रहा था। तीनों जवान अपनी जान की बाजी लगाकर आतंकियों से भिड़ गए। मात्र एक पेड़ की ओट लेकर उन्होंने आतंकियों को ललकारा। मात्र दो मिनट में आतंकियों ने अपनी एके-47 की कई मैगजीन खाली कर दी।

इस बीच उन्होंने अपनी लोकेशन भी बदल ली, लेकिन तीनों जवानों ने अपने दूसरे साथियों से कवर फायर लेकर आगे बढ़ना शुरू कर दिया। करीब 45 मिनट चली मुठभेड़ के बाद उन्होंने चारों आतंकी मार गिराए। इनके इसी अदम्य साहस के लिए इन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया है। इसी तरह से पिछले साल पुलवामा जिले में हुए एक अन्य फिदायीन हमले में वीरता की मिसाल पेश करते हुए डिप्टी कमांडेंट कुलदीप सिंह और हवलदार धनवाडे रविंद्र बब्बन (मरणोप्रांत) शौर्य चक्र प्रदान किया गया है। 26 अगस्त को हुए हमले में बीस घंटे तक फायरिंग चली थी। इस हमले में तीन आतंकी मारे गए थे।

इन्हें मिला राष्ट्रपति का वीरता पुलिस पदक…

30 दिसंबर 2017 को जैश के तीन फिदायीन आतंकी रात 2 बजकर 10 मिनट पर सीआरपीएफ के लेथपुरा कैंप में घुस गए। आतंकियों ने पहले यहां ग्रेनेड से हमला किया और इसके बाद अधाधुंध फायिरंग शुरू कर दी। सीआरपीएफ जवानों ने जवाबी कार्रवाई की तो आतंकी कैंप में बनी एक इमारत में घुस गए। वह चार मंजिला इमारत थी। आतंकी टॉप फ्लोर पर ही छिपे थे। यहीं पर बल का प्रशासनिक कार्यालय और कंट्रोल रूम भी था। आतंकी सीआरपीएफ के कंट्रोल रूम को नष्ट करने की योजना बना रहे थे। 

इसी भवन में अस्पताल और पास ही अफसरों और जवानों के क्वॉर्टर भी थे। यहां पर सीआरपीएफ के जवान तोफेल अहमद तैनात थे। जैसे ही आतंकी इस ओर बढ़ने लगे, अहमद ने उन्हें ललकारा। उसने अपनी एके-47 की दो मैगजीन खाली कर दी, लेकिन आतंकियों का अंदर नहीं घुसने दिया। तभी एक आतंकी ने दूसरी ओर से अहमद पर फ़ायर कर दिया। एक गोली उसकी गर्दन में लगी। कुछ ही देर बाद सिपाही शरीफ उद्दीन गनी वहां पहुंच गया, लेकिन तब तक अहमद दम तोड़ चुका था।

शरीफ ने बहादुरी के साथ आतंकियों का मुकाबला किया। 36 घंटे तक मुठभेड़ चलती रही। गोलीबारी में शरीफ भी शहीद हो गया। सीआरपीएफ जवानों ने तीनों आतंकी मार गिराए। इन दोनों शहीदों को राष्ट्रपति का वीरता पुलिस पदक प्रदान किया गया है।

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