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बनारस में गंगा दशहरा पर स्नानार्थियों के गंगा स्नान पर रही रोक

उत्तराखंड में घरों में चिपकाये जाते हैं द्वार पत्र

लखनऊ : आज गंगा दशहरा है, देश में कोरोना गाइडलाइन के तहत यह पर्व मनाया जा रहा है। श्रीमद देवी भागवत महापुराण के नौवें स्कन्ध में गंगा अवतरण व गंगा महात्म्य का विस्तार से वर्णन किया गया है। शास्त्रों में कहा गया है कि गंगा स्नान करने से जीवन परम मोक्ष को प्राप्त करता है। गंगा का स्मरण करने से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। कुमाऊं में गंगा दशहरा पर घरों के द्वार पर पत्र चस्पा किया जाता है। जिस पर मंत्र लिखा होता है, जो घर को वज्र से नुकसान होने का खतरा नहीं रहता। यह एक तरह से सुरक्षा कवच का काम करता है।

गंगा दशहरा को अबूझ मुहूर्त माना जाता है। इस दिन विवाह, यज्ञोपवीत, गृह प्रवेश आदि मांगलिक कार्य होते हैं। गंगा दशहरा पर चित्रा नक्षत्र के साथ सर्वार्थ सिद्धि का योग रहेगा। पूजन के लिए सूर्योदय से दोपहर 12:30 बजे तक का मुहूर्त है। इस दिन प्रात:काल उठकर गंगाजी में स्नान करना चाहिए। कोरोना काल में गंगाजल मिले पानी से स्नान करना चाहिए। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। भोग व आरती कर गंगा मैया से खुशहाली व संपन्नता की कामना करें।

वहीं बनारस में इस साल भी गंगा दशहरा प्रोटोकॉल की भेंट चढ़ गया। बनारस में स्नानार्थियों के गंगा स्नान पर रोक रही। दूर-दराज क्षेत्रों से आने वाले श्रद्धालु गंगा स्नान से वंचित हो गए। काशी के मुख्य घाटों दशाश्वमेध घाट, प्रयाग घाट, शीतला घाट, असि घाट, तुलसी घाट, हरिश्चंद्र घाट, मणिकर्णिका घाट, पंचगंगा व रविदास घाट पर स्नानार्थियों के जाने पर रोक रही। जल पुलिस चौकी से पब्लिक एड्रेस सिस्टम के जरिए बार-बार चेतावनी सूचना प्रसारित की जा रही थी। इलाकाई पुलिस प्रमुख घाटों पर और घाट जाने वाले मार्गों पर तैनात होकर लोगों को उल्टे पांव लौटा रही थी। हालांकि, पिंड दान और अस्थि विसर्जन करने वाले यात्रियों को पुरोहित संग जाने दिया जा रहा था।

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