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बाबर के वंशज ने कहा- अयोध्या में राम मंदिर बनेगा, पहली सोने की ईंट मैं रखूँगा

गोरखपुरः 2019 के चुनावों से पहले अयोध्या में राम मंदिर के मुद्दे पर देशभर में छिड़ी चर्चा के बीच अब मुगल खानदान के ‘वंशज’ ने इस मुद्दे को उठाया है। बाबर और बहादुर शाह जफर के वंशज प्रिंस या‍कूब हबीबुद्दीन तुसी ने अयोध्या में भगवान श्रीराम मंदिर के निर्माण की वकालत की है। उनका कहना है कि इस मुद्ददे पर हिन्दू-मुसलमान का कोई विवाद नहीं है। राजनेता इस पर बेवजह राजनीति कर रहे हैं। वे राष्‍ट्रपति के पास जाकर अयोध्या में भगवान राम के मंदिर निर्माण की वकालत करेंगे। मुगल वंश के अंतिम बादशाह बहादुर शाह जफर का वंशज होने का दावा करने वाले याकूब हबीबउद्दीन तुसी ने भाजपा को राम मंदिर निर्माण का वादा याद दिलाते हुए कहा है कि वह इस मामले में भाजपा के सहयोगी दलों से मदद लेंगे। उन्होंने कहा, ‘‘मैंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अनेक ई-मेल भेजकर राम मंदिर के निर्माण के लिये आग्रह किया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया। अगर भाजपा इस सिलसिले में कोई पहल करने में नाकाम रहती है तो मैं मंदिर निर्माण के लिये उसके सहयोगी दलों की मदद लूंगा।’’ उन्होंने कहा की वो दिल्ली से चक्रपाणि महाराज के नेतृत्व में रथयात्रा लेकर विभिन्न शहरों से होते हुए अयोध्या पहुंचेंगे और वहां रामलला के दर्शन कर मंदिर निर्माण की बात पेश करेंगे। उन्होंने कहा कि अयोध्या में भगवान श्रीराम का मंदिर बनेगा, तो पहली सोने की ईंट वे रखेंगे। हबीबउद्दीन तुसी ने दावा किया कि वह मुगल खानदान के चश्म-ओ-चिराग हैं और उनके इस दावे को वर्ष 2002 में उच्चतम न्यायालय ने भी स्वीकार किया है। तुसी ने कहा कि मंदिर निर्माण के लिये भाजपा की तरफ से कोई जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने शंकराचार्य स्वरूपानन्द से सम्पर्क किया। वह प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि गोरखपुर भी इसीलिये आये हैं ताकि राम मंदिर निर्माण के लिये लोगों को प्रेरित किया जा सके। जल्द ही वह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय निर्वाचन क्षेत्र वाराणसी भी जाएंगे।

प्रिंस याकूब ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में पिटीशन फाइल की थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे विवादित ढांचा बोला है। वहां पर न मंदिर का मसला है और न मंदिर का।वहां पर जमीन का मसला है। टाइटल सूट के मुताबिक यह जमीन बाबर के निकल रही है। इस मामले में हमने राष्ट्रपति से समय मांगा है क्योंकि राष्ट्रपति को यह अधिकार होता है कि जो मामला न्यायालय में चल रहा है, उस पर वे कोर्ट को निर्देश दे सकते हैं। कोर्ट ने कहा है कि वे पुराने पक्ष को सुनेंगे। लेकिन, सुन्नी वक्फ बोर्ड प्रॉपर्टी की ओनर नहीं बन सकती है। हम प्रॉपर्टी के ओनर हैं। हम राष्ट्रपति को लिखकर देंगे और एक पिटीशन भी फाइल करेंगे कि इस मुद्दे को जल्द से जल्द खत्म किया जाए। इस मुद्दे को पार्लियामेंट या सुप्रीम कोर्ट को रेफर किया जाए और मंदिर बनवा दिया जाए। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि ओएस 5973 सिटी सिविल कोर्ट हैदराबाद 2002 में यह कंफर्म कर दिया और हमें डिग्री दे दिए कि हम बाबर के वंशज हैं। कोर्ट ने डॉक्यूमेंट के एविडेंस में इसे कंफर्म किया है। किसी के बोलने और नहीं बोलने से कोई फर्क नहीं पड़ता है। मुगलों के वक्फ की प्रॉपर्टी के हम मुल्तवी है। हमारे पास सारे पेपर भी मौजूद हैं। हमने 2 साल पहले राष्ट्रपति से मुलाकात भी की थी। इस बार जो मुलाकात हम करने वाले हैं। राम मंदिर के सिलसिले में हमने जो टाइम मांगा है। जैसे ही हमें टाइम मिलेगा ये पिटीशन हमारी तरफ से उन्हें हैंड वर्क कर दी जाएगी। प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया को पावर होता है कि वह सुप्रीम कोर्ट को डायरेक्शन दे सकता है। नहीं तो इस मुद्दे को पार्लियामेंट में ट्रांसफर कर सकता है। हम 2 साल से समय मांग रहे हैं उनके हम बड़े फलोवर भी हैं.। देश और राष्ट्र के लिए वे बहुत अच्छा कर रहे हैं। योगी जी ने इसके पहले बयान दिया था कि वहां पर मंदिर भगवान श्री राम बनाएंगे और फिर कहा कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में है। तो मैं कह रहा हूं कि मैं सुप्रीम कोर्ट में एनओसी देने के लिए तैयार हूं। विवादित ढांचा गिराने के बाद वह सामने इसलिए नहीं आए क्योंकि वह इस मसले में नहीं पड़ना चाहते थे। लेकिन, दिन पर दिन हालत खराब होते जा रहे हैं। 2019 के बाद 2024 में भी यह मुद्दा खत्म नहीं होगा। हिंदू-मुसलमान की नई पीढ़ी के दिलों में नफरत पैदा हो रही है। इसलिए वे चाहते हैं कि यह मुद्दा जल्द से जल्द खत्म हो। उनका कहना है कि ये बाबर की वसीयत से साबित कर देती है कि मंदिर को मीर बाकी ने तोड़ा था। मंदिर वहां पर बन जाता है, तो लोगों की आस्था भी कायम रहेगी। वे राष्ट्रपति से मांग करेंगे कि 240 मस्जिद बंद पड़ी है, उसे खुलवा दें। मुसलमान उसमें नमाज पढ़ेंगे।

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