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भारत में चलेगी बुलेट ट्रेन से भी तीन गुना तेज ट्रेन!

नई दिल्ली। 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली टेल्गो ट्रेन का भारत में ट्रायल पूरा हुआ है। लेकिन अब अमेरिका की स्टार्टअप हाइपरलूप टेक्नोलॉजी ने भारत में हाई-स्पीड ट्रेन लाने की मंशा जाहिर की है। सबसे खास बात ये है कि ये स्टार्टअप बुलेट ट्रेन से तीन गुना ज्यादा तेज दौड़ने वाली अपनी पहली हाईस्पीड ट्रेन को भारत में ही शुरू करना चाहती है।

दुनिया की सबसे हाई स्पीड ट्रेन 1200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ सकती है। हाइपरलूप टेक्नोलॉजी पर चलने वाली इस ट्रेन का आइडिया टेस्ला के फाउंडर एलॉन मस्क लेकर आए हैं। सबसे दिलचस्प बात ये है कि हवा से बात करने वाली ये ट्रेन दरअसल, वैक्यूम ट्यूब में चलती है। इस ट्रेन को हकीकत का रूप देने वाली अमेरिकी स्टार्टअप हाइपरलूप ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी यानी एचटीटी भारत में अपनी पहली हाई-स्पीड ट्रेन लाना चाहती है।

भूल जाओगे बुलेट ट्रेन को, भारत में चलेगी उससे भी तीन गुना तेज ट्रेन!

अमेरिकी कंपनी ने भारत में हाई-स्पीड ट्रेन लाने की मंशा जाहिर की है। खास बात ये है कि ये स्टार्टअप बुलेट ट्रेन से तीन गुना ज्यादा तेज दौड़ने वाली अपनी पहली हाईस्पीड ट्रेन को भारत में ही शुरू करना चाहती है।

स्टार्टअप का दावा है कि इस ट्रेन से चेन्नई से बेंगलुरु की दूरी आधे घंटे से भी कम वक्त में तय हो सकेगी। जबकी ट्रैवलिंग खर्च हवाई सफर के मुकाबले आधा होगा। अनुमान के मुताबिक कंपनी 500 किलोमीटर के लिए 30 डॉलर यानी 2000 रुपये तक चार्ज कर सकती है। वहीं एक हाइपरलूप ट्रेन में एक दिन में करीब 1 लाख 44 हजार लोग ट्रैवल कर सकेंगे। यही नहीं, भारत में हाइपरलूप की एंट्री के लिए ये स्टार्टअप जल्द ही सरकार के साथ चर्चा भी करने वाली है।

2013 में पहली बार टेस्ला के फाउंडर एलॉन मस्क को हाइपरलूप टेक्नोलॉजी शुरू करने का आइडिया आया था। तब से अब तक 2 कंपनियां एचटीटी और हाइपरलूप वन मिलकर इस ट्रेन को बनाने में जुटी हैं। फिलहाल, एचटीटी कैलिफोर्निया की क्यै वैली में 8 किलोमीटर का टेस्ट ट्रैक लगा रही है। कंपनी को उम्मीद है कि ये सेवा 2019 तक शुरू हो जाएगी। वैसे इस ट्रेन को चलाने के पीछे सबसे बड़ा मकसद है सफर के दौरान भीड़ और वक्त दोनों की कटौती करना।

फिलहाल दुनियाभर में ऐसी इनोवेटिव ट्रांसपोर्ट टेक्नोलॉजी पर तेजी से काम हो रहा है और इसका सबसे बड़ा उदाहरण है चीन की एलीवेटेड बस जिसके नीचे कारें भी चल सकती हैं। अगर भारत में ऐसी टेक्नोलॉजी आई तो ये ट्रांसपोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में मील का पत्थर साबित होगा।

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