भोलेनाथ के डर से यहां नहीं मनाते हैं दशहरा
विजयादशमी पर्व की देशभर में धूम है, लेकिन हिमाचल प्रदेश से एक दिलचस्प खबर है। यहां के गांव बैजनाथ के निवासियों का मानना है, ‘यदि वह दशहरा पर्व मनाते हैं, तो यह उनके लिए अशुभ संकेत लाएगा।’ दरअसल इस मान्यता का कारण एक पौराणिक कहानी है। जो त्रेतायुग के समय की है।
पुराणों में उल्लेख है कि रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर को 10 बार काट कर हवन कुंड में आहुत किया था। इस कठिन तप को देख शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने रावण से वर मांगने को कहा। रावण ने शिव से लंका (वर्तमान में श्रीलंका) आने का अनुरोध किया। शिव कैलाश छोड़कर नहीं जा सकते थे। इसीलिए शिव ने रावण को अपना अंश, एक शिवलिंग के रूप में दे दिया।
ऐसा करते हुए भोले भंडारी ने रावण से कहा,, ‘रावण! शिवलिंग को धरती पर मत रखना, यदि ऐसा करोगे तो यह शिवलिंग उसी जगह पर स्थापित हो जाएगा।’
रावण ने विनम्रता से यह बात स्वीकार की। अब रावण लंका की ओर चल दिया। रास्ते में उसे लघुशंका लगी, लेकिन तभी उसे शिव द्वारा कहे वाक्य ध्यान में आए कि जमीन पर रखते ही यह शिवलिंग वहीं स्थापित हो जाएगा।’ कुछ देर तक रावण इंतजार करता रहा।
तभी उसे बैजू नाम का चरवाहा दिखाई दिया। रावण ने उसे शिवलिंग दिया। लेकिन बैजू को शिवलिंग के जमीन पर न रखने की बात कहना रावण भूल गया। शिवलिंग काफी भारी था।
बैजू को शिवलिंग का वजन उठा पाना मुश्किल लग रहा था। चरवाहे ने शिवलिंग को वहीं रख दिया और भगवान शिव शिवलिंग के रूप में वहीं स्थापित हो गए।
बैजनाथ निवासी मानते हैं कि यदि रावण वहां से नहीं गुजरता तो शिवलिंग उनके शहर में नहीं होता। रावण, शिवभक्त था। और शिव के भक्त के विरोध में दशहरा मनाया जाता है।
बैजनाथ के निवासियों का मानना है, ‘भगवान शिव उन पर गुस्सा हो सकते हैं इसीलिए यहां के निवासी दशहरा नहीं मनाते हैं।’
चरवाहे के नाम पर है बैजनाथ
बैजनाथ, शहर का नाम बैजू चरवाहे के नाम पर रखा गया है। पुरातात्विक प्रमाणों के आधार पर 13 वीं शताब्दी के दौरान, बैजनाथ मंदिर प्राचीन शिवलिंग मौजूद है, जो हिंदुओं का सबसे महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है। यहां एक बैजनाथ मंदिर भी है जिसका उल्लेख महाभारत में भी मिलता है।
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बैजनाथ मंडी और पालमपुर, जो कांगड़ा जिले में धर्मशाला से 60 किलोमीटर की दूरी पर है के मध्य में स्थित है। हालांकि यह किंवदंती सच है या नहीं ? लेकिन बैजनाथ के निवासी निश्चित रूप से दशहरा मनाने से आज भी डरते हैं।
दशहरे पर रहता है जौहरी बाजार बंद
हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी पंचायतों में शुमार बैजनाथ और पपरोला नगर पंचायतें में दशहरा के दिन जौहरी बाजार पूरी तरह से बंद रहता है।
क्योंकि शिव भक्त रावण लंका का रहने वाला था, और लंका सोने की थी। लोगों का मानना है कि इस दिन सोने-चांदी की दुकान खोले रखने से उन्हें व्यापार में शिव के क्रोध की वजह से हानि भी उठानी पड़ सकती है।