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‘मकोका’ की तर्ज पर यूपी में कानून लाने की तैयारी, कम से कम 3 साल की हो सकती है सजा

लखनऊ. संगठित अपराध, माफिया और आतंकवाद के खिलाफ सख्त कार्रवाई के लिए यूपी सरकार ने महाराष्ट्र की तर्ज पर यूपीकोका (यूपी कंट्रोल आफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम ऐक्ट) लाने की तैयारी पूरी कर ली है। विधानसभा के शीत सत्र में यूपीकोका विधेयक लेकर आ सकती है। 12 दिसंबर को होने वाली कैबिनेट बैठक में इस पर प्रस्ताव आएगा। 'मकोका' की तर्ज पर यूपी में कानून लाने की तैयारी, कम से कम 3 साल की हो सकती है सजा

महाराष्ट्र में मकोका की तर्ज पर बनेगा कानून…

– सीएम योगी आदित्यनाथ ने सत्ता संभालने के बाद संगठित अपराध, माफियाओं पर शिकंजा कसने का आदेश दिया था। इसके बाद गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्र ने मुंबई, दिल्ली और बिहार समेत कई राज्यों में संगठित अपराध के लिए बनाए गए कानून के बारे में जानकारी जुटाई।

-इन सभी राज्यों के कानून के आधार पर ही यूपी में यूपीकोका लाने की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि इस कानून के तहत कम से कम तीन साल से लेकर उम्रकैद और फांसी की सजा का प्रावधान हो सकता है। इसके अलावा पांच से 25 लाख तक जुर्माने का प्रावधान करने की तैयारी है।

-इस कानून के जरिए अपराधियों और नेताओं के नेक्सस पर भी लगाम कसी जाएगी। पुलिस और स्पेशल फोर्स को स्पेशल पावर दी जाएंगी। यूपी में इससे पहले संगठित अपराध पर कार्रवाई के लिए स्पेशल टॉस्क फोर्स का गठन हुआ था।

क्या है मकोका

– साल 1999 में महाराष्ट्र सरकार ने मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) बनाया था। इसका मुख्य मकसद संगठित और अंडरवर्ल्ड क्राइम को खत्म करना था। 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू कर दिया। फिलहाल महाराष्ट्र और दिल्ली में यह कानून लागू है।

-इसके तहत संगठित अपराध जैसे अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी, जबरन वसूली, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश, धमकी, उगाही सहित ऐसा कोई भी गैरकानूनी काम जिससे बड़े पैमाने पर पैसे बनाए जाते हैं, मामले शामिल है।

सख्त है मकोका कानून

– ‌मकोका लगने के बाद आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती है। मकोका के तहत पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का वक्त मिल जाता है, जबकि आईपीसी के प्रावधानों के तहत यह समय सीमा सिर्फ 60 से 90 दिन की है। मकोका के तहत आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन तक हो सकती है, जबकि आईपीसी के तहत यह अधिकतम 15 दिन की होती है।

ऐसे लगता है किसी पर मकोका

– किसी के खिलाफ मकोका लगाने से पहले पुलिस को एडिशनल कमिश्नर ऑफ पुलिस से मंजूरी लेनी होती है। इसमें किसी आरोपी के खिलाफ तभी मुकदमा दर्ज होगा, जब 10 साल के दौरान वह कम से कम दो संगठित अपराधों में शामिल रहा हो। 
– संगठित अपराध में कम से कम दो लोग शामिल होने चाहिए। इसके अलावा आरोपी के खिलाफ एफआईआर के बाद चार्जशीट दाखिल की गई हो। अगर पुलिस 180 दिनों के अंदर चार्जशीट दाखिल नहीं करती, तो आरोपी को जमानत मिल सकती है।

इतनी मिलती है सजा

– मकोका कानून के तहत अधिकतम सजा फांसी की है। वहीं न्यूनतम पांच साल के जेल की सजा का प्रावधान है।

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