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मदर टेरेसा के रक्त की एक बूंद रोम तो दूसरी आई सागर

mother_2016912_04333_12_09_2016शत्रुघन केशरवानी, सागर। गरीबों की सेवा में जीवन समर्पित कर देने वाली विश्व विख्यात नन मदर टेरेसा को संत की उपाधि से नवाजने के बाद अब उनकी यादों से जुड़ी दुर्लभ निशानियों को देश भर के गिरजाघरों व सेंटरों में भेजा जाने लगा है। मदर टेरेसा के अंतिम दिनों में उपचार के दौरान चढ़ाई गई बॉटल की निडिल से रक्त की बूंदें उनके कपड़ों पर गिरी थीं। इसी कपड़े का एक हिस्सा कोलकाता के मदर टेरेसा हाऊस से सागर स्थित मदर टेरेसा सेंटर भेजा गया है, जबकि इसी निशानी (रेलिक ) का दूसरा हिस्सा रोम भेजा गया है।

कैथोलिक काउंसिल ऑफ इंडिया के कार्यकारिणी सदस्य एवं मप्र उपाध्यक्ष फ्रांसिस जेवियर जेम्स ने बताया कि वेटिकन सिटी में पोप फ्रांसिस ने मदर टेरेसा को संत की उपाधि देने का ऐलान करने से हम सभी में हर्ष का माहौल है। अब उन्हें संत मदर टेरेसा के नाम से जाना जाएगा, जिसके चलते अब उनके जीवन की यादों से जुड़ी दुर्लभ चीजों को प्रार्थनाओं के लिए देश के कई स्थानों पर भेजा जा रहा है।
 
बताया जा रहा है कि जब मदर टेरेसा का अंतिम समय में उपचार चल रहा था तब इंजेक्शन की सुई से खून उनके कपड़े पर गिरा था, कपड़े का कुछ हिस्सा सागर व कुछ रोम स्थित सेंटर में भेजा गया है। उल्लेखनीय है कि 17 मार्च 1981 को मदर टेरेसा सागर आई थीं। उन्होंने सागर में सेवा केन्द्र का शिलान्यास किया था। बाद में इसका नाम मदर टेरेसा सेवा केन्द्र रखा गया।
 
संभाग में सिर्फ सागर आई निशानी, बिशप ने कराई प्रार्थना
 
मदर टेरेसा के रक्त लगे इस कपड़े को फ्रेम में सजाकर मप्र के सागर में संभागीय मुख्यालय में भेजा गया है। सागर कैंट स्थित कजलीवन मैदान के पास मदर टेरेसा सेंटर में उनकी यादों के स्वरूप उनके रक्त के निशान वाले कपड़े (रेलिक) को भेजा गया है।
 
जेम्स का कहना है कि एक कपड़े का हिस्सा रोम भेजा गया है तो दूसरा मदर टेरेसा सेंटर सागर आया है, जिसे सेंटर प्रमुख सिस्टर थियोलिन्डा सागर लेकर आई हैं। फादर इमानुएल ने बताया कि बिशप एंथोनी चेरियत सहित आधा दर्जन फादर द्वारा विशेष प्रार्थना की। इस दौरान सेंट जोसेफ सीनियर स्कूल के बच्चों ने मदर टेरेसा के जीवन पर आधारित नाटक एवं वीडियो के माध्यम से उनके कार्यों की प्रस्तुति दी गई।

 

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