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मेरुदंड लचीला बनाता है और उदर सम्बन्धी रोगों में लाभकारी है सुप्त-वज्रासन

सुप्त-वज्रासन करने के लिए स्थिति में आइए (दोनों पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाएँगे ) दोनों पैर मिलाइए, हाथ बराबर में, कमर सीधी रखते हुए। अब वज्रासन स्थिति में बैठेंगे। पैरों में पीछे अंतर रखेंगे जिससे नितंब जमीन से लग जाए अब धीरे से दोनों कुहनियों के सहारे से पीठ के बल जमीन पर लेट जाएँगे। घुटनों को ज़मीन से लगाएँगे, हाथों को सिर के उपर रखेंगे या नमस्कार मुद्रा में सीने पर भी रख सकते हैं कुछ देर इसी स्थिति में रहेंगे फिर दोनों कुहनियों की सहायता से उठकर बैठ जाते हैं।
अधिक कमर दर्द व घुटने दर्द के रोगी न करें। वक्षस्थल और मेरुदंड के लिए लाभदायक है। मेरुदंड लचीला होता है। उदर संबंधी सभी तरह के रोगों में लाभकारी है। इससे पेट की चर्बी भी घटती है।

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