उत्तर प्रदेशलखनऊ

मैंने मजदूरी की है, चाय बेची है: यूपी भाजपा के नए अध्यक्ष

keshav-prasad-maurya_1460146705एजेन्सी/  भाजपा नेतृत्व ने सियासी रूप से देश के सबसे महत्वपूर्ण सूबे के संगठन की जिम्मेदारी फूलपुर के युवा सांसद केशव प्रसाद मौर्य को दे कर सबको चौंका दिया है। आजादी के बाद पहली बार इस संसदीय क्षेत्र में कमल खिलाने वाले मौर्य पर पार्टी ने बहुत बड़ा सियासी दांव चलाया है। अध्यक्ष बनाए जाने के घोषणा के बाद हिमांशु मिश्र ने मौर्य से सूबे में भावी रणनीति, चुनावी मुद्दों सहित अन्य विषयों पर बातचीत की-

प्रश्न- राजनीतिक दृष्टि से सबसे महत्वपूर्ण सूबे की संगठन की कमान,कितनी बड़ी चुनौती है यह आपके लिए?

जवाब- सच कहूं तो इसे मैं चुनौती से ज्यादा बहुत बड़ा दायित्व मान रहा हूं। नेतृत्व ने मुझ जैसे साधारण कार्यकर्ता पर भरोसा जताया है। पूरा विश्वास है कि नेतृत्व के इस भरोसे पर सौ फीसदी खरा उतरूंगा।

प्रश्न- आप लंबे समय तक विहिप से जुड़े रहे हैं। क्या पार्टी की योजना आपकी हिंदूवादी छवि को भुनाने और विधानसभा चुनाव में राम मंदिर का मुद्दा जोर शोर से उठाने की है?

जवाब- एक बात मैं साफ कर देना चाहता हूं। राम मंदिर निर्माण हमारा चुनावी मुद्दा नहीं है। विधानसभा चुनाव में राम मंदिर निर्माण हमारा मुद्दा नहीं होगा। हम सपा सरकार और सपा के  नेताओं-कार्यकर्ताओं की गुंडागर्दी के साथ-साथ पूर्ववर्ती बसपा सरकार के भ्रष्टाचार को चुनावी मुद्दा बनाएंगे। इस दौरान मोदी सरकार की उपलब्धियां और किए गए विकास कार्यों पर जनादेश मांगेंगे। राम मंदिर का मुद्दा हमारा चुनावी मुद्दा नहीं बल्कि आस्था से जुड़ा मुद्दा है।

प्रश्न- बीते साल दिल्ली फिर बिहार में मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाना पार्टी के काम नहीं आईं। पार्टी दोनों ही राज्यों में बुरी तरह हारी। ऐसे में उत्तर प्रदेश में यही कोशिश कैसे परवान चढ़ेगी?

जवाब- दरअसल इन दो राज्यों में जब विधानसभा चुनाव हुए तब मोदी सरकार की उपलब्धियां जमीन पर नहीं दिखाई दे रही थीं। अब उपलब्धियां दिखने लगी हैं। साल 2017 आते आते ये उपलब्धियां सिर चढ़ कर बोलेंगी।

प्रश्न- भाजपा विकास की बात करती है, मगर पिछड़ी जाति के मौर्य को संगठन का कमान देना यह नहीं बताता है कि आपकी पार्टी भी चुनावी राजनीति में जातिगत गुणा भाग को ही महत्व देती है?

जवाब- भाजपा में जातिवाद के लिए कोई जगह नहीं है। यहां हमेशा राष्ट्रवाद और विकासवाद ही हमारी राजनीति की पहचान है। मुझे अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी इसलिए नहीं दी गई कि मैं पिछड़ी जाति से हूं। नेतृत्व ने मुझ पर बतौर कार्यकर्ता अपना विश्वास व्यक्त किया है।

प्रश्न- आप सपा सरकार के गुंडागर्दी को चुनावी मुद्दा बनाने की बात कर रहे हैं, मगर आपके खिलाफ भी तो कई मामले दर्ज हैं?

जवाब- मैंने हमेशा जनांदोलनों का सहारा लिया है। सारे मुकदमे जनांदोलनों के कारण हैं। इसे आप आपराधिक मुकदमा नहीं कह सकते।

प्रश्न- सपा और बसपा में मुलायम-अखिलेश-मायावती जैसे दिग्गज सियासी चेहरे हैं, जबकि भाजपा इस मामले में काफी पीछे है। ऐसे में सूबे की चुनावी वैतरणी पार करना मुश्किल नहीं है। वह भी तब जब पूरी पार्टी में गुटबाजी चरम पर है?

जवाब- लोकसभा चुनाव में भी पार्टी के सामने यही चेहरे थे, मगर हमारे गठबंधन ने 80 में से 73 सीटों पर कब्जा किया। लोग सपा की गुंडागर्दी, बसपा सरकार में भ्रष्टाचार के बने कीर्तिमान के कारण भाजपा को बेहतर विकल्प मान चुके हैं। चुनाव में हमारे साथ पीएम मोदी का चेहरा, उनकी सरकार की उपलब्धियां होंगी। जहां तक गुटबाजी की बात है तो यह मीडिया की कपोल कल्पना से ज्यादा कुछ नहीं है।

प्रश्न- पार्टी आपको पीएम मोदी की तरह चाय बेचने वाला बता रही है। मान लिया जाए कि देश की तरह उत्तर प्रदेश में भी चाय वाला ही सरकार की कमान संभालेगा?

जवाब- मुझे फिलहाल संगठन की जिम्मेदारी दी गई है। इस जिम्मेदारी के तहत मुझे पार्टी को सूबे में दो तिहाई बहुमत दिलाना है। मुख्यमंत्री कौन होगा यह नेतृत्व तय करेगा। हां, मैंने मजदूरी की है, अखबार और चाय बेचे हैं। ऐसी पृष्ठभूमि के व्यक्ति की कद्र सिर्फ भाजपा में ही हो सकती है।

 
 

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