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यूथ ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को खाना न मिलने पर, भूखे रहने को मजबूर

यूथ ओलंपिक में ब्यूनस आयर्स खेलने गए 68 सदस्यीय भारतीय दल को खाने के लाले पड़ गए हैं। गेम्स विलेज में खिलाड़ियों को भारतीय खाना तो दूर उससे मिलता जुलता खाना भी उपलब्ध नहीं कराया गया है। नतीजन खिलाड़ियों को भूखा रहना पड़ रहा है, जिससे उनकी खेल शुरू होने से पहले अंतिम सत्र की तैयारियां बुरी तरह से प्रभावित हो रही हैं। खाने की मार झेल रहे खिलाड़ियों ने भारतीय दल के चेफ डि मिशन गुरुदत्ता भक्ता से गुहार लगाई है कि उन्हें कुछ ऐसा खाना उपलब्ध कराया जाए जो वे खा सकें।

यूथ ओलंपिक में भारतीय खिलाड़ियों को खाना न मिलने पर, भूखे रहने को मजबूर भक्ता ने भी इस मामले को कड़ाई से आयोजनकर्ताओं के समक्ष उठाते हुए भारतीय खाना उपलब्ध कराने को कहा, लेकिन उन्हें सिर्फ आश्वासन ही मिला है। अंतरमहाद्वीपीय खेलों में थोड़ी बहुत खाने की शिकायत आती है, लेकिन जिस तरह की दिक्कतों का सामना भारतीय खिलाड़ियों को ब्यूनस आयर्स में करना पड़ रहा है, वैसा देखने को नहीं मिलता है। सच्चाई यह है कि रविवार को ट्रेनिंग के दौरान पदक का दावेदार एक भारतीय खिलाड़ी उपयुक्त खाना नहीं मिलने के चलते चक्कर खाकर गिर पड़ा।

कोच को मजबूरन उसकी ट्रेनिंग बंद करानी पड़ी। चेफ डि मिशन भक्ता ने अमर उजाला से कहा कि आयोजनकर्ताओं को पहले ही कहा गया था कि दो से तीन तरह के भारतीय व्यंजन गेम्स विलेज में उपलब्ध कराए जाएं, लेकिन यहां आए तो ऐसा नहीं था। दिक्कत यह है कि भारतीय भोजन से मिलता जुलता भी यहां कुछ नहीं मिल रहा है। सिर्फ खिलाड़ियों को ही नहीं बल्कि दल के साथ आए भारतीय ऑफिशियल्स को भी दिक्कतें उठानी पड़ रही हैं। वह पिछले कुछ दिनों में यह मुद्दा उठा चुके हैं। आज भी उन्होंने समस्या को सामने रखा है, लेकिन उन्हें आश्वासन ही मिला है।
एक टॉयलेट आठ खिलाड़ी

गेम्स विलेज स्थित कमरों में चार से आठ या उससे भी अधिक खिलाड़ियों को एक साथ रुकवाया गया है। कमरों में एक के ऊपर ऊपर एक बेड दिए गए हैं, जबकि टॉयलेट एक ही है। यहां तक कमरों में कुर्सी तक नहीं दी गई है। खिलाड़ियों के साथ ऑफिशियल्स को भी इसी तरह के बेड दिए गए हैं। भक्ता का कहना है कि कमरे से निपटा जा सकता है, लेकिन खाने का मुद्दा बड़ा है।

उद्घाटन समारोह सा अहसास नहीं कर पाया भारतीय दल

भक्ता के मुताबिक खेलों का उद्घाटन समारोह अलग तरह का था। इसे स्टेडियम में नहीं बल्कि शहर के मुख्य स्थल पर आयोजित किया गया। ध्वजवाहक मनु भाकर को स्टेज पर बुलाया गया और दल के साथ चक्कर लगवाए गए। भक्ता का कहना है कि समारोह अच्छा था, लेकिन उद्घाटन समारोह का जो अहसास होना चाहिए वह खिलाड़ियों को नहीं हुआ।

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