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यूपीः इस जाति के लोग भी शामिल हुए अनुसूचित जाति में

acr167-56784235104e6courtप्रदेश में अहेरिया जाति के लोग अनुसूचित जाति के ही सदस्य माने जाएंगे। इस बारे में शासनादेश जारी कर दिया गया है। एक मामले में अहेरिया जाति के लोगों को अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करने पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी।

हाईकोर्ट के निर्देशों के तहत हुई जांच के बाद शासन ने अहेरिया और बहेलिया जाति में रोटी-बेटी का संबंध बताते हुए उन्हें अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र जारी करने के फैसले को सही ठहराया है।

मथुरा के पूर्व विधायक अजय कुमार पोइया ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दायर कर गोवर्धन सुरक्षित सीट से विधायक चुने गए श्याम सिंह अहेरिया के जाति प्रमाणपत्र को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि अहेरिया होने के नाते उन्हें जारी किया गया अनुसूचित जाति का प्रमाणपत्र अवैध है।

इस मामले में हाईकोर्ट ने जांच कर निर्णय लेने के निर्देश दिए। प्रमुख सचिव (समाज कल्याण) सुनील कुमार की अध्यक्षता में गठित राज्यस्तरीय स्क्रूटनी कमेटी ने इस मामले में अनुसूचित जाति एवं जनजाति शोध एवं प्रशिक्षण संस्थान, लखनऊ से रिपोर्ट मांगी।

संस्थान ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि बहेलिया और अहेरिया लोगों में रोटी-बेटी का संबंध है। बहेलिया अनुसूचित जाति में सूचीबद्ध है। चूंकि, समाज में बहेलिया जाति को अपेक्षित सम्मान नहीं मिलता था, इसलिए इन्होंने अपने मूल नाम के आगे ‘अहेरिया’ टाइटिल लगाना शुरू कर दिया।

कुछ दिनों बाद स्थिति यह आ गई कि बहेलिया जाति के बजाय इन्हें अहेरिया जाति से पहचाना जाने लगा। शोध संस्थान ने 1897 में विलियम क्रूक द्वारा लिखी किताब ‘द ट्राइब्स एंड कास्ट्स ऑफ नॉर्थ वेस्टर्न इंडिया ईएसए’ का जिक्र भी किया, जिसमें बहेलिया और अहेरिया को एक ही बताया गया है।

स्क्रूटनी समिति ने सभी तथ्यों पर विचार करते हुए अपने फैसले में कहा कि जाति प्रमाणपत्र जारी करते समय उसकी मूल जाति पर विचार किया जाए। टाइटिल के आधार पर कोई निर्णय न किया जाए। समिति ने कहा है कि करवल, पासिया और अहेरिया ये सभी बहेलिया जाति के ही सदस्य हैं।

मथुरा, एटा और अलीगढ़ में हैं ये जातियां
समाज कल्याण विभाग के अनुसार बहेलिया, करवल, पासिया और अहेरिया जाति के लोग मुख्य रूप से मथुरा, एटा और अलीगढ़ में रहते हैं। 2001 के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार इनकी कुल संख्या 11,832 है जो अब बढ़कर करीब 25 हजार हो गई है।

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