स्वास्थ्य

ये बातें जाननें के बाद आप नहीं फेकेंगे केले, आलू और नींबू के छिलके…

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अकसर खाना बनाते समय हम काफी सब्जियों के छिलके निकालकर DUSTBIN में फेंक देते हैं ये सोचकर कि इससे क्या फायदा होगा। लेकिन आज जो हम आपको बताएंगे उसके बाद आप इन छिलकों को फेंकना बंद कर देंगे।

 ऐसा हर बार होता है कि आप जब भी केला खाते हैं, इसके छिलकों को सीधे DUSTBIN का रास्ता दिखा देते हैं। ठीक इसी तरह अन्य फलों जैसे संतरा, अनार और तरबूज के छिलकों का हाल होता है। लेकिन आज हम आपको बताएंगे ऐसे ही कुछ सब्ज़ियों के छिलकों से होने वाले फायदों के बारे में…
1) नींबू के छिलके
नींबू का रस निकालने के बाद छिल्कों को फेकें नहीं, इन्हें छाँव में रखकर सुखा लें। कच्चे हरे केले का छिल्का उतारकर केले के गूदे को बारीक-बारीक टुकड़े करें और इसे भी छाँव में सुखा लें। जब दोनो अच्छी तरह सूख जाए तो दोनो की समान मात्रा लेकर मिक्सर में एक साथ ग्राइंड करलें, चूर्ण तैयार हो जाएगा। ये चूर्ण दस्त और डायरिया का अचूक फार्मुला होता है, बस १ चम्मच चूर्ण की फांकी मारनी होगी, हर २ घंटे के अंतराल से, देखते ही देखते दस्त और डायरिया की समस्या का पूर्ण निदान हो जाएगा। आधुनिक विज्ञान भी इस फार्मुले की पैरवी कर चुका है। केले मे स्टार्च और नीबू के छिल्कों मे सबसे ज्यादा मात्रा में पेक्टिन, इन दोनों की सक्रियता से दस्त जैसी समस्या में तेजी से राहत मिल जाती है
2) अनार के छिलके
अनार छीलने के बाद छिलकों को फेंके नहीं, इन्हें बारीक काटकर मिक्सर में थोड़े पानी के साथ डालकर पीस लें। बाद में इसे मुंह में डालकर कुछ देर कुल्ला करें और थूक दें। दिन में करीब दो तीन बार ऐसा करने से मसूड़ों और दांतों पर किसी तरह के सूक्ष्मजीवी संक्रमण हो तो काफी हद तक आराम मिल जाता है। जिन्हें मसूड़ों से खून निकलने की शिकायत हो उन्हें यह फार्मुला बेहद फायदा करेगा। सैकड़ों साल से आजमाए जाने वाले इस आदिवासी फार्मुलों के असर को वैज्ञानिक परिक्षण के तौर पर भी सिद्ध किया जा चुका है। स्ट्रेप्टोकोकस मिटिस और स्ट्रेप्टोकोकस संगस नामक बैक्टिरिया की वजह से ही जिंजिवायटिस और कई अन्य मुख रोग होते हैं और इनकी वृद्धि को रोकने के लिए अनार के छिलके बेहद असरकारक होते हैं।
 3) आलू के छिलके
आलू के छिलके कमाल के होते हैं, यकीन मानिए। दुनिया भर में आलू एक प्रचलित कंद है और इसका इस्तमाल लगभग हर घर में किया जाता है लेकिन दुर्भाग्यवश जानकारी के अभाव में हम इसके छिलकों को फेंक देते हैं। आप जब इसके औषधीय गुणों को जानेंगे तो सिवाय दांतों में ऊंगली दबाने के और कुछ ना कर पाएंगे। आपको आश्चर्य होगा कि आलू के छिलकों में आलू के अंदर के हिस्से से ज्यादा महत्वपूर्ण रसायन पाए जाते हैं। आंखों के नीचे बैग (सूजन) बने हों या चेहरे पर दाग- धब्बे या मुहांसे, कुछ ना करें सिर्फ आलू के छिलकों के अंदरूनी हिस्से को चेहरे पर लगाए और हल्का-हल्का दबाते हुएं रगड़ें। करीब १५ दिन में ही फर्क दिखायी देने लगेगा। और तो और इन छिल्कों को ग्राईंड करें, रुई डुबोकर चेहरे पर लगाएं और फिर १५ दिनों में चेहरे की रंगत देखिए, बिल्कुल निखरने लगेगा। ध्यान रहें, छिलकों के इस्तमाल से पहले आलू को साफ पानी से खूब अच्छी तरह से धो जरूर लें।
4) तुरई के छिलके
पातालकोट के आदिवासियों के अनुसार तुरई के छिलकों के छोटे छोटे टुकड़े काटकर छाँव में सुखा लिए जाए और सूखे टुकड़ों को नारियल के तेल में मिलाकर ५ दिन तक रखे और बाद में इसे गर्म कर लिया जाए। तेल छानकर प्रतिदिन बालों पर लगाए और मालिश भी करें तो बाल काले हो जाते हैं।
5) केले के छिलके
केले का छिलका प्रोस्टेट ग्रंथि की वृद्धि को रोकता है। टेस्टोस्टेरोन की वजह से अक्सर प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ जाता है और अनेक शोध बताती हैं कि केले का छिलका टेस्टोस्टेरोन को सक्रिय नहीं होने देता। आदिवासी हर्बल जानकारों के अनुसार साफ केले के छिलके को धोकर सुखा लिया जाए और फिर इसे ग्राइंड कर लिया जाए, प्राप्त चूर्ण की आधा चम्मच फांकी दिन में दो बार लेने से प्रोस्टेट ग्रंथी की वृद्धि को रोकने में मददगार होता है। पके हुए केले के छिलके के अंदरूनी हिस्से को मुहांसो पर रात सोने से पहले रगड़िये और चाहें तो चेहरे को ४५ मिनिट बाद धो सकते हैं। बहुत जल्द ही सकारात्मक परिणाम दिखेंगे।
 
 

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