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ये है दुनिया का सबसे बड़ा किचन, हो सकता है आपने चखा हो यहां के खाने का स्‍वाद

यहां किसी की धर्म-जाति नहीं देखी जाती और किसी के साथ ऊंच-नीच व्‍यवहार नहीं किया जाता। सभी को यहां आने और खाने की इजाजत है।

समय के साथ तेजी से एकल परिवार का चलन बढ़ा है और इसके साथ ही घर का किचन भी छोटा हो गया है। जबकि एक समय ऐसा भी था जब हर किसी के किचन में कम से कम 20-30 लोगों का खाना तो जरूर एक साथ बनता था और पूरा घर गुलजार रहता था। वैसे मौजूदा समय में एक किचन ऐसा भी है जहां 20-30 तो क्या, लगभग एक लाख लोगों का खाना बनता है और वो भी लगभग हर रोज।

जी हां, चौंकिए मत, हम यहां बात कर रहे हैं दुनिया के सबसे बड़े किचन की, हो सकता है कि हम से ज्यादातर लोगों ने इस किचन के खाने का स्वाद भी चखा हो और वो भी मुफ्त में। यहां किसी की धर्म-जाति नहीं देखी जाती और किसी के साथ ऊंच-नीच व्यवहार नहीं किया जाता। सभी को यहां आने और खाने की इजाजत है।

अब तक तो आप समझ ही गए होंगे कि हम यहां किसी लंगर की बात कर रहे हैं, जहां निष्ठाभाव से लोग गुरु नानक की शरण में आते हैं और कभी भी खाली पेट नहीं लौटते और जिस लंगर की यहां बात कर रहे हैं वो कोई और नहीं बल्कि अमृतसर स्थित गोल्डन टेंपल का लंगर है, जिसे गुरु का लंगर कहा जाता है और दुनिया का सबसे बड़ा किचन भी। आइए इसकी विशेषताओं से आपको रूबरू कराते हैं|

– लंगर की परंपरा गुरु नानक देव ने शुरु की थी और गुरु अमरदास ने इसे आगे बढ़ाया।

– कहते हैं मुगल बादशाह अकबर ने भी गुरु के लंगर में आम लोगों के साथ बैठकर प्रसाद खाया था।

– यहां रोज लगभग 12000 किलो आटा, 13000 किलो दाल, 1500 किलो चावल और 2000 किलो सब्जियों का इस्तेमाल होता है।

– यहां रोजाना लगभग दो लाख रोटियां बनाई जाती हैं। रोटी मेकिंग मशीन एक घंटे में 25000 रोटियां बना सकती हैं।

– खीर बनाने के लिए 5000 लीटर दूध, 1000 किलो चीनी और 500 किलो घी का इस्तेमाल होता है।

– खाना बनाने के लिए रोज 100 से ज्यादा एलपीजी सिलेंडर्स और 5000 किलो लकड़ी का इस्तेमाल होता है।

– खाना बनाने के लिए करीब 500 स्टाफ के अलावा सैकड़ों आम लोग वालंटियर्स के तौर पर काम करते हैं।

– यहां 11 विशालकाय तवा और इतने बड़े कड़ाह हैं जिनमें एक बार में सात क्विंटल तक दाल या खीर बनाई जा सकती है।

– यहां दो किचन हैं, जहां 24 घंटे काम होता है। लोगों को लंगर में खाना खिलाने के लिए वालंटियर्स हर रोज तीन लाख बर्तन धोते हैं। वहीं सेवा भाव से आम लोगों के जूते भी पॉलिश किए जाते हैं।

– हर कोई यहां सेवा भाव से जाता है, यहां तक कि देश के मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी गोल्डन टेंपल में मत्था टेकने के साथ ही आम जनों को खाना खिलाया था। ऐसा करने वाले वो देश के पहले प्रधानमंत्री भी हैं।

– खाने का खर्च दुनिया भर से मिले दान से चलता है।

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