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राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी भी चले ‘दादा’ की राह

मैदागिन की अड़ी पर ली चाय की चुस्की
लोगों की समस्याएं सुनीं, किया समाधान

डी.एन. वर्मा
वाराणसी। शहर दक्षिणी से भाजपा विधायक और योगी सरकार में सूचना, खेल एवं युवा कल्याण राज्यमंत्री डा. नीलकंठ तिवारी का अंदाज रविवार को सुर्खियों में रहा। राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी रविवार को सुबह घर से निकले, बिना किसी सुरक्षा और तामझाम के खुद अपनी कार चलाकर मैदागिन गोलघर पहुंच गये। यहां मोहल्ले के लोगों के साथ चबूतरे पर बैठकर चाय की चुस्की ली और उनकी परेशानी को भी सुना। चाय की दुकान पर मौजूद लोगों ने अपने मंत्री का हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ स्वागत किया। मंत्री जी ने वही चाय की दुकान के चबूतरे पर ही अपनी अड़ी जमा ली। अपने बीच मंत्री जी को पाकर लोगों में भी खासी उत्सुकता देखने को मिली। इसकी जानकारी मिलने पर राज्यमंत्री से जुड़े समर्थक भी तब तक वहां पहुंचने लगे। इस दौरान राज्यमंत्री नीलकंठ तिवारी ने दर्जन भर लोगों की समस्याओं को सुना और संबंधित विभाग से समस्या के त्वरित निस्तारण होने का आश्वासन भी दिया। राज्यमंत्री ने लोगों के सामने ही संबंधित अधिकारियों से बात कर समस्या निस्तारण के लिए निर्देशित किया। लोगों के कहने पर मंत्री ने तीन निलंबित सफाई कर्मियों को भी बहाल कराया। लोगों ने उनसे क्षेत्र में साफ सफाई और रामघाट अस्पताल को जल्द से जल्द चालू करवाने की बात कही। मंत्री ने शीघ्र समाधान का भरोसा दिया।
बिना सुरक्षा-तामझाक और खुद गाड़ी चलाकर आम नागरिक की तरह आने के बारे में पूछे जाने पर मंत्री नीलकंठ तिवारी ने बताया कि जनता के बीच हमेशा सादगी और बनारसीपन के साथ रहा हूं। मुझे कोई खतरा नहीं है, इसलिए सुरक्षा की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि अपनी कार खुद ड्राइव कर लोगों के बीच इसलिए आया हूं ताकि किसी को यह न लगे कि मंत्री बनने के बाद बदलाव आ गया है। कहा कि मैं हमेशा आप लोगों के बीच भाई की तरह रहा हूं और आगे भी इसी तरह मिलता रहूंगा। मंत्री जी के जाने के बाद क्षेत्र में उनकी सादगी और मिलनसारिता की चर्चा होती रही। कुछ लोगों ने नीलकंठ तिवारी को सादगी की प्रतिमूर्ति बताया तो अधिकांश समर्थकों ने माना कि अब बनारस का भाग्योदय होने वाला है, अब अपना शहर भी चमक जायेगा। वहीं आम लोग इसे पूर्व विधायक श्यामदेव राय चौधरी ‘दादा’ की नकल बताते रहे। उनका मानना है कि मंत्री नीलकंठ तिवारी ‘दादा’ की राह पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि ‘दादा’ भी मंत्री या विधायक रहने के बावजूद सादगी पूर्वक बिना तामझाम और दिखावा के पैदल चलकर लोगों के बीच हमेशा उपलब्ध रहते हैं लोगों का सुख-दुख बांटते हैं। खैर जो भी हो, लेकिन अगर कोई ‘माननीय’ जिसे लाल बत्ती मिली हो, जो हमेशा सुरक्षा गार्डों से घिरा रहता हो और जिससे मिलना तो दूर, बात करना भी पहाड़ चढ़ने जैसा होता है, अगर वह आम जनता के बीच आम जन की तरह बैठकर चाय की चुस्कियां ले, उनकी बातें सुने और तुरंत समस्याओं का निराकरण करवा दे तो निश्चित ही लोकतंत्र के लिए यह सुखद संकेत है, बदलाव की आहट है।

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