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राज्यसभा में हंगामे से लटके कई विधेयक, सभापति हामिद अंसारी ने बुलाई सर्वदलीय बैठक

parliament_650x400_51450425675नई दिल्ली: संसद के मौजूदा सत्र में लगातार होते हंगामों की वजह से महत्वपूर्ण विधेयकों के लटक जाने के चलते राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने शुक्रवार दोपहर एक सर्वदलीय बैठक आहूत की है। उपराष्ट्रपति ने यह फैसला गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ लगभग 10 मिनट तक चली बैठक के बाद लिया।
 
सूत्रों का कहना है कि सभापति इस बैठक में सभी पार्टियों से संसद के उच्च सदन राज्यसभा में गतिरोध को खत्म करने की अपील करने के साथ-साथ इस मुद्दे के स्थायी हल के लिए सुझाव भी मांगेंगे कि कुछ सदस्यों द्वारा कामकाज को ठप कर देने की बढ़ती परंपरा को कैसे रोका जाए।
 
यह भी माना जा रहा है कि हामिद अंसारी इस बारे में राजनैतिक दलों के विचार जानना चाहते हैं कि क्या राज्यसभा के नियमों में बदलाव किया जाना चाहिए, ताकि सिर्फ दिन के बुलेटिन में नाम लिखकर किसी सदस्य को शर्मिन्दा करने के स्थान पर उनके खिलाफ कुछ सख्त कार्रवाई की जाए। सभापति कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक हामिद अंसारी बिल्कुल लोकसभा स्पीकर जैसी शक्तियां चाहते हैं, जो शरारती सदस्यों को सदन से बाहर निकलवा सकते हैं। उम्मीद की जा रही है कि शुक्रवार की बैठक में वह सभी दलों को इस मुद्दे पर एकमत करने की कोशिश करेंगे।
 
गुरुवार को लगातार गतिरोध के बाद राज्यसभा सभापति ने कहा था, “आप लोग सवाल क्यों पूछने देते हैं…? आप दूसरे सदस्यों का सवाल पूछने का अधिकार कैसे नकार सकते हैं…?”
 
बताया जाता है कि गुरुवार को हामिद अंसारी के साथ अपनी बैठक में प्रधानमंत्री ने भी सदन के कामकाज को बाधित करने वाले सदस्यों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का सुझाव दिया था। दरअसल, गुरुवार को उपसभापति पीजे कुरियन तथा तृणमूल कांग्रेस सदस्य सुखेंदु शेखर रॉय के बीच सदन में गर्मागर्म बहस हो गई थी।
 
उपराष्ट्रपति कार्यालय के सूत्रों के अनुसार यह पहला मौका नहीं है, जब उन्होंने सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई के लिए ज़्यादा अधिकार हासिल करने चाहे हैं। वर्ष 2010 में बीजेपी तथा कुछ अन्य पार्टियों ने ऐसी कोशिशों का कड़ा विरोध किया था।
 
संसद का मौजूदा शीतकालीन सत्र बुधवार को खत्म होने जा रहा है, और सरकार की सबसे बड़ी चिंता के रूप में जीएसटी बिल तो अधर में लटका ही है, एप्रोप्रिएशन बिल भी सरकार को चिंतित किए है, क्योंकि विभिन्न परियोजनाओं में वेतन तथा फंडिंग बढ़ाने के लिए उसका पारित होना भी ज़रूरी है। दरअसल, राज्यसभा में सरकार के पास बहुमत नहीं है, और इन सभी बिलों के पारित होने के लिए उन्हें विपक्ष के समर्थन की आवश्यकता है।

 

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