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राज्य उपभोक्ता आयोग को अतिरिक्त जगह दे सरकार : हाईकोर्ट

73_1443835216मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को राज्य उपभोक्ता आयोग को अतिरिक्त पांच हजार वर्ग फुट जगह सौंपने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने कहा- सरकार ने इस संबंध में पहले ही शासनादेश जारी किया है। इसलिए अब जगह को अपने पास रखने का कोई मतलब नहीं है। न्यायमूर्ति वीएम कानडे व न्यायमूर्ति शालिनी फनसालकर जोशी की खंडपीठ ने मुंबई ग्राहक पंचायत की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद खंडपीठ ने कहा कि आयोग की ओर से पुराने दस्तावेजों को स्कैन कराने की पेशकश युक्तिसंगत नजर आती है। लिहाजा सरकार आयोग को पांच हजार वर्गफुट जगह उपलब्ध कराए। हाईकोर्ट ने फिलहाल मामले की सुनवाई 12 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी है।
 
क्या कहा याचिका में
याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे वकील उदय वारुंजेकर ने कहा कि वर्तमान में जिस जगह पर आयोग का कामकाज चल रहा है वह पर्याप्त नहीं है। आयोग को काम करने में कठिनाई हो रही है। सामान्य प्रशासन विभाग ने पुराने सचिवालय की इमारत में आयोग को जगह देने के संबंध में 22 मई 2015 को शासनादेश भी जारी किया है। जो जगह आयोग को देनी है वहां से स्टेट को-ऑपरेटिव ट्रिब्युनल को दूसरी जगह भेज दिया गया है। अब वह जगह रिक्त पड़ी है।
जहां तक वहां पर रखे गए दस्तावेजों की बात है तो आयोग अपने खर्च पर उन्हें स्कैन करके ट्रिब्युनल को सौंपने को तैयार है।
 
दुष्कर्मी ससुर को 10 साल की जेल
मुंबई सत्र न्यायालय ने बहू के साथ दुष्कर्म के दोषी पाए गए ससुर को दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने ससुर को 50 हजार रुपए बहू को मुआवजे के रुप में भी देने को कहा है। सरकारी वकील नीलिमा कस्तूरी ने मामले को लेकर न्यायाधीश के सामने पांच गवाहों को पेश किया। इन गवाहों में वह डॉक्टर भी शामिल था जिसने पीड़िता की मेडिकल जांच की थी। डॉक्टर की गवाही को सुनने व अन्य तथ्यों पर गौर करने के बाद न्यायाधीश ने आरोपी नामदेव दलवी को दोषी माना। उसे दस साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। पीड़िता ने ससुर दलवी के खिलाफ पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई थी।
 
शिकायत में महिला ने कहा था कि पिछले साल सात नवंबर को उसके ससुर ने दुष्कर्म किया था। उसके पति काम के सिलसिले में बाहर गए हुए थे।

 

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