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लखनऊ से ‘अटल’ है वाजपेयी का रिश्ता, पहली बार बलरामपुर से बने सांसद

लखनऊ। भाषण की अनोखी अदा, मोहक मुस्कान और अपने व्यवहार से सर्वप्रिय नेता निर्विवाद राजनेता पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का और लखनऊ से पुराना नाता है। लखनऊ के चुनाव में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण भाजपा के लिए जीत की हवा बहाने का काम करता था। लखनऊ से 'अटल' है वाजपेयी का रिश्ता, पहली बार बलरामपुर से बने सांसद

लखनऊ में चाहे वह आलमबाग में चंदरनगर की सभा हो या फिर अलीगंज में कपूरथला में अटल का भाषण। वैसे तो लखनऊ अटल की जन्मभूमि नहीं है, लेकिन लखनऊ को उन्होंने कर्मभूमि बनाया। भाजपा से नाराज दिखने वाले मुसलमानों के दिल में भी अटल के लिए जगह रहती है। 2007 के विधानसभा चुनाव से उनका मत नहीं पड़ा। लखनऊ में अटल जी की अंतिम सभा 25 अप्रैल 2007 को कपूरथला चौराहे पर भाजपा उम्मीदवारों के समर्थन में हुई थी। इसके बाद खराब स्वास्थ्य के चलते उनका लखनऊ से नाता टूट गया। वर्ष 2009 का लोकसभा चुनाव उन्होंने लड़ा नहीं। 

लखनऊ से अटल बिहारी वाजपेयी वर्ष 1991, 1996, 1998, 1999, 2004 में सांसद रहे। उनके जन्मदिन पर आज लखनऊ में तमाम आयोजन होंगे। भारतीय जनता पार्टी लखनऊ महानगर इकाई की ओर से कुडिय़ा घाट पर तहरी एवं समरसता भोज का आयोजन होगा। नगर महामंत्री पुष्कर शुक्ला ने बताया कि भोज में उप मुख्यमंत्री डॉ.दिनेश शर्मा, पूर्व सांसद लालजी टंडन, प्राविधिक शिक्षा मंत्री आशुतोष टंडन व महिला कल्याण मंत्री डॉ.रीता बहुगुणा जोशी के अलावा कई कार्यकर्ता शामिल होंगे।

वहीं कल ही उनके जन्मदिन की पूर्व संध्या पर आलमबाग में हवन पूजन के साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री की दीर्घायु की कामना की गई। राज्यमंत्री महेंद्र सिंह के अलावा महापौर संयुक्ता भाटिया व पूर्व विधायक सुरेश तिवारी सहित कई कार्यकर्ता शामिल हुए। उधर,अवधेश कुमार छोटू के संयोजन में मिष्ठान वितरण किया गया। पार्षद दिलीप श्रीवास्तव की ओर से भुइयन देवी मंदिर परिसर में हवन पूजन किया गया। वहीं राजाजीपुरम कोठारी बंधु चौराहा स्थित मां मनपूर्णा पार्क में सुंदरकांड के साथ हुए सम्मान समारोह में राज्यमंत्री महेंद्र सिंह व विधायक सुरेश श्रीवास्तव के साथ अनुराग मिश्र समेत कई कार्यकर्ता शामिल हुए। वहीं बख्शी का तालाब में सरौरा गांव में पार्टी कार्यकर्ताओं और बुजुर्गो का सम्मान किया गया। इसमें सांसद कौशल किशोर समेत कई कार्यकर्ता शामिल हुए। 

मोची को मुख्य अतिथि बनाकर बांटा कंबल

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मदिन की पूर्व संध्या पर कल जन सहयोग से कल इंजीनियरिंग कॉलेज चौराहे पर विशाल तहरी भोज करवाने के साथ ही जरूरतमंदों को कंबल व पुराने कपड़े वितरित किए गए। कार्यक्रम में चौराहे पर बूट पॉलिश करने वाले मोची को मुख्य अतिथि बनाया गया था। मुख्य अतिथि ने पांच करीबों को कंबल बांट कर कार्यक्रम की शुरुआत की। 

क्यों मुंह लटकाकर बैठे हो, फिर लड़ंगा चुनाव

बात वर्ष 1962 की है। जनसंघ के टिकट पर बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव हारने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के पीपल तिराहे के आवास पर कार्यकर्ता निराश खड़े थे। सभी की जुबां चुप थी। हर किसी की आंखें अटल जी को तलाश रही थीं। तभी कमरे का दरवाजा खुला। बाहर निकलकर अटल जी ने उत्साहवर्धन करते हुए कहा, क्यों मुंह लटका कर बैठे हो, निराश मत हो, फिर लड़ूंगा।

उस वक्त हरैया सतघरवा में अटल बिहारी वाजपेयी की चुनावी कमान संभालने वाले शहर के पूर्व विधायक तुलसीदास राय चंदानी के जेहन में आज भी वह दृश्य ताजा है। बताते हैं, उस वक्त रात दिन एक करने के बाद भी कुछ मतों के अंतर से वह चुनाव हार गए थे। जब कार्यकर्ता उनसे मिलने पहुंचे, तो पहले तो वह गुस्सा हुए। डांटते हुए कहा, थोड़ी और मेहनत करते तो जीत जाते। फिर बोले, अब क्यूं मुंह लटकाकर बैठे हो। उदास न हो, मैं फिर आऊंगा, फिर लड़ूंगा। आज भी उन्हें याद है जब अटल जी पैदल ही टहलते हुए उनके घर पर आ जाते थे। जब खाना खाते तो वह खाने के लिए एक साथ बैठने की जिद करते थे। आम तौर पर वह चटाई पर सोते थे, उन्हें काला नमक चावल बहुत पसंद था।

पहली बार बलरामपुर से सांसद

संसद तक अटल बिहारी वाजपेयी को पहुंचाने का श्रेय गोंडा को ही हासिल है। वह पहली बार बलरामपुर संसदीय सीट से 1957 में चुनाव जीते थे। वर्ष 1967 में भी वह बलरामपुर से ही सांसद चुने गए थे। हालांकि अब अलग जिला बना बलरामपुर उस वक्त गोंडा का ही हिस्सा था। 

 
 

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