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लाल व हरे रंग के चावल से भागेगी मधुमेह-कैंसर जैसी घातक बीमारियां

एलर्जी, जलन,ब्लड प्रेशर, हार्ट अटैक, मधुमेह और कैंसर जैसे घातक बीमारी को भगाने के लिए बिहार के पश्चिम चम्पारण में अब दवा खाने के बदले लोग लाल और हरे रंग का चावल खाने में ले रहे हैं। यह सुनने में आश्चर्यजनक लग रहा होगा लेकिन यह हकीकत है। किसान अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए यहाँ किसानों ने रामनगर में लाल और हरे रंग के चावल की खेती शुरू किया है। ऐसे चावलों की बाजार में काफी डिमांड है। आपूर्ति की इसी मांग के कारण किसान लाखों की आमदनी कोरोनाकाल में कर रहे हैं।

किसानों का कहना है कि लाल चावल में जलन, एलर्जी और कैंसर जैसी बीमारियों को खत्म करने के गुण मौजूद हैं। वहीं, हरे चावल में मौजूद क्लोरोफिल वजन घटाने, मधुमेह और कैंसर से निजात दिलाने में सक्षम है। रामनगर प्रखण्ड के हरपुर गांव में एक किसान ने लाल और हरे चावल समेत सात पुरानी किस्मों के चावल की खेती की है। किसान विजय गिरि का कहना है कि खेती अपनी पारंपरिक और जैविक विधि से कर रहा हूँ। अनियंत्रित जीवन शैली और तनाव के कारण लोगों को मधुमेह और कैंसर जैसे घातक बीमारी होती है। लोगों को इन बिमारियों से निजात दिलाना मेरा उद्देश्य है। किसान विजय गिरि धान, गेहूं और आलू समेत अन्य फसलों की भी खेती करते हैं।

उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व विजय गिरि ने रसियन ब्लैक पोटैटो (काला आलू), ब्लैक राइस, ब्लैक गेंहू, ब्लू गेंहू, पर्पल गेंहू, मैजिक राइस और सोनामोती गेंहू इत्यादि जैसे किस्मों का उत्पादन कर चुके हैं, जिसकी बाजार में काफी डिमांड है। आगे बताते हैं कि यह चावल रेड राइस एंटीऑक्सिडेंट तत्वों से भरपूर होता है। लाल रंग जैसे गहरे रंगोंवाली सब्जियों में टमाटर और गाजर में जो एंथोसायनिन पाए जाते हैं, वही तत्व रेड इस राइस में भी प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। लिहाजा यह चावल शरीर के जलन, एलर्जी और कैंसर के खतरे को कम करता है। इतना ही नहीं यह चावाल दांत और हड्डियों के लिए भी फायदेमंद है। इसमें मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम दांतों और हड्डियों के लिए काफी फायदेमंद होता है। इसके पोषक तत्वों की वजह से एक कप रेड राइस का उपयोग मधुमेह के खतरे को 60 फीसदी तक कम करता है। साथ ही इस चावल से बना भोजन ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक से बचाने में कारगर है। इस चावल में रेड राइस एन्टी ऑक्सीडेन्ट तत्वों से भरपूर होता है। रेड राइस में एंथोसायनिन पाए जाते हैं, जिससे शरीर में जलन, एलर्जी और कैंसर के खतरे को कम करता है।

विजय गिरी बताते हैं कि वैज्ञानिकों के किए गये शोध के आधार पर चावल में मौजूद कैल्शियम और मैग्नीशियम दांतों और हड्डियों के लिए भी फायदेमंद है। मधुमेह बीमारी को 60 फिसदी कम करता है। ब्लड प्रेशर और हार्ट अटैक से बचाने में कारगर है और अस्‍थमा से लड़ने में सहायक है। वहीं हरा चावल वजन घटाने में सक्षम है। हरे चावल में मौजूद क्लोरोफिल भी कैंसर के खतरे को कम करता है। ग्रीन राइस कस्तूरी प्रजाति का एक चावल है, जिसमें कैंसर रोधक क्षमता पाई जाती है। यह ग्लूटेन रहित चावल है,जो वजन घटाने में भी सक्षम है। चावल में मौजूद क्लोरोफिल होने से कैंसर के खतरे को कम करता है। वो कहते हैं कि कोरोना संक्रमण काल में लाल और हरे चावल में मौजूद औषधीय गुणों की वजह से इसका निर्यात अमेरिका और अन्य यूरोपीय देशों में बड़े पैमाने पर हो रहा है। भारत में इसकी खेती हिमाचल प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत अन्य पहाड़ी इलाकों में बड़े पैमाने पर की जा रही है।

हरे चावल की प्रजाति पर इंदिरा गांधी कृषि अनुसंधान केंद्र रायपुर में कृषि वैज्ञानिक शोध भी कर रहे हैं। इस चावल के खाने से कई गंभीर बीमारियों से निजात मिल सकती है। बाजार में इस लाल और हरे चावल की प्रत्येक किलो कीमत लगभग 600 रुपया है। कोरोना काल में इसकी खेती किसानों के लिए आर्थिक तौर पर काफी फायदेमंद साबित हो रही है। कृषि विभाग भी आर्थिक रूप से किसानों को समृद्ध बनाने के लिए इसको बढ़ावा देने में लगा है। कृषि प्रखण्ड पदाधिकारी, रामनगर प्रदीप तिवारी का कहना है कि पैदावार काफी अच्छी हो रही है, इसे देखते हुए कृषि विभाग किसानों को हरसम्भव मदद करेगा। साथ ही अन्य किसानों को भी प्रोत्साहित करने का काम करेगा।

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