उत्तराखंडराज्य

विधानसभा चुनाव: अनदेखी पर भाजपा महिला मोर्चा के तेवर तल्ख

उत्‍तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण को लेकर भाजपा महिला मोर्चा भी पार्टी नेतृत्व से नाराज है। चुनाव में भागीदारी को लेकर महिलाओं की अनदेखी पर मोर्चा ने सवाल उठाए हैं।

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 उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए टिकट वितरण को लेकर भाजपा में जगह-जगह उठ रहे असंतोष के सुरों के बीच भाजपा महिला मोर्चा भी पार्टी नेतृत्व से खासा नाराज है। चुनाव में भागीदारी को लेकर महिलाओं की अनदेखी पर मोर्चा ने सवाल उठाए हैं और वह इस सिलसिले में भाजपा नेतृत्व से जवाब मांगने जा रहा है।

उसका कहना है कि उचित सम्मान, आदर्श, उसूल की बातें तो खूब हो रहीं, फिर टिकट वितरण में महिलाओं को क्यों दरकिनार किया गया। ये भी सवाल उठाया कि मोर्चा से पैनल में जिन 22 महिलाओं के नाम भेजे गए थे, क्या उनमें कोई भी ऐसा नहीं था, जिसे टिकट दिया जा सके। ऐसे एक नहीं अनेक सवालों की झड़ी के साथ मोर्चा से जुड़ी महिलाएं गुरुवार को भाजपा प्रदेश मुख्यालय में जुटेंगी।

राज्य की 70 विधानसभा सीटों में से 64 पर भाजपा ने प्रत्याशी घोषित किए हैं, लेकिन इनमें महिलाओं की संख्या सिर्फ चार है। टिकट वितरण में महिलाओं की अनदेखी से भाजपा महिला मोर्चा ने खुलकर नाराजगी जाहिर की है। मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष नीलम सहगल ने ‘दैनिक जागरण’ से बातचीत में कहा कि महिलाओं की अनदेखी एक गंभीर विषय है।

पार्टी ने जिन चार महिलाओं को टिकट दिया है उनमें से सिर्फ एक ही महिला मोर्चा की है। हालांकि, उन्हें मोर्चा नहीं, बल्कि आरक्षित सीट होने के चलते टिकट दिया गया। बाकी तीन सीटों में दो को हाल में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने का ईनाम दिया गया, जबकि एक को पिता के बूते टिकट दिया गया।

सहगल ने कहा कि पार्टी के फैसले से महिला मोर्चा से जुड़ी महिलाओं में निराशा है और ऐसा लगता है कि मानो पार्टी में उनका कोई अस्तित्व ही नहीं है। उन्होंने बताया कि इस सबको लेकर राज्यभर से मोर्चा से जुड़ी करीब 50 महिलाएं दून में जुट रही हैं और गुरुवार को भाजपा के प्रांतीय कार्यालय जाकर पार्टी नेतृत्व से सवाल करेंगी।

महिला मोर्चा के सवाल

टिकट वितरण का आधार पार्टी के सर्वे को बताया जा रहा, क्या इस सर्वे में किसी महिला का नाम सामने नहीं आया

क्या कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए जिन लोगों को टिकट दिए गए हैं, क्या उनके नाम भी सर्वे आए

महिला मोर्चा ने पैनल में जिन 22 महिलाओं की सूची भेजी थी, क्या उनमें कोई भी ऐसी नहीं थी, जिसे टिकट दिया जाता

पं.दीनदयाल उपाध्याय, श्यामाप्रसाद मुखर्जी के आदर्श, उसूलों पर चलने की बात महिलाओं के मामले में क्यों दरकिनार की गई

क्या महिलाएं सिर्फ झंडा-डंडा उठाने तक ही सीमित रहेंगी, क्या उन्हें आगे बढऩे का अवसर नहीं दिया जाना चाहिए

प्रत्याशियों के लिए उम्र सीमा भी तय की गई थी, फिर इसमें पारदर्शिता क्यों नहीं बरती गई

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