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शिअद नेत्री बीबी जागीर कौर को हाई कोर्ट का झटका, नहीं लड़ पाएंगी चुनाव

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शिअद नेत्री बीबी जागीर कौर के सजा निलंबन की अर्जी खारिज कर दी है। बीबी जागीर कौर ने चुनाव लड़ने के लिए छूट की मांग की थी।जेएनएन, चंडीगढ़। भुलत्थ से शिरोमणि अकाली दल की विधायक बीबी जागीर कौर द्वारा पटियाला की सीबीआइ अदालत द्वारा वर्ष 2012 में उन्हें दी गई पांच वर्ष की सजा को निलंबित किए जाने की मांग को लेकर पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में दायर अर्जी को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट के इस फैसले से अब बीबी चुनाव नहीं लड़ पाएंगी। बीबी अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जा सकती हैं।
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सुनवाई के दौरान बीबी जागीर कौर के वकील ने अकाली नेता सुच्चा सिंह लंगाह को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई राहत का हवाला देते हुए उनकी भी सजा इसी आधार पर निलंबित किए जाने की मांग की थी। जस्टिस एके मित्तल एवं जस्टिस रामेंद्र जैन की खंडपीठ ने याचिका पर लंबी बहस के बाद फैसला सोमवार तक रिजर्व रख लिया था।

बता दें की सुच्चा सिंह लंगाह को भी मोहाली जिला अदालत ने भ्रष्टाचार के मामले में दोषी करार दे तीन वर्ष की सजा सुनाई थी। उन्होंने ने भी अपनी सजा के निलंबन को लेकर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी । जिसे हाई कोर्ट ने 21 दिसंबर को ख़ारिज कर दिया था । इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में भी इसी मांग को लेकर याचिका दायर की थी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए उनकी सजा पर रोक लगा दी जिसके चलते लंगाह के चुनाव लड़ने का रास्ता साफ हो गया था।

इसी आधार पर बीबी जागीर कौर ने भी हाई कोर्ट में लंगाह के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देते हुए उन्हें भी राहत दिए जाने की मांग की थी। याचिका पर अब वीरवार को भी सुनवाई जारी रहेगी। दायर याचिका में बीबी जागीर कौर ने कहा था की वह इस समय न सिर्फ भुलथ से विधायक हैं, बल्कि पार्टी की वरिष्ठ नेता होने के साथ ही शिरोमणि अकाली दल महिला विंग की अध्यक्षा भी हैं।

लिहाजा पंजाब के आगामी विधान सभा चुनावों में वे पार्टी की ओर से चुनाव लड़ना चाहती हैं और चुनाव प्रचार करना चाहती हैं। जब तक उनके खिलाफ सीबीआइ अदालत द्वारा सुनाई गई सजा निलंबित नहीं होती है तब तक वह चुनाव नहीं लड़ सकती। लिहाजा, उन्होंने सीबीआइ अदालत द्वारा उन्हें सुनाई गई 5 वर्ष की की सजा को निलंबित किए जाने की हाई कोर्ट से मांग की थी। मुख्य याचिका अभी हाई कोर्ट में विचाराधीन है।

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