अद्धयात्म

शुभ कर्मों में सिद्घि के लिए करें मां सिद्धिदात्री का पूजन

siddhi-1445489554दस्तक टाइम्स/एजेंसी:  भक्तों को अष्टसिद्धि और नवनिधि देने वाली देवी हैं मां सिद्धिदात्री। मां दुर्गा के नौवें स्वरूप के रूप में मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है। इनकी सच्चे मन से उपासना करने से स्वतः ही मनुष्यों की सभी कामनाएं पूरी हो जाती हैं।

देवी सिद्धिदात्री ही भगवान शिव के साथ अर्द्घनारीश्वर रूप में जुड़ी हुई हैं। इनका वाहन सिंह है। कमलासन पर विराजमान इस देवी की चारों भुजाओं में शंख, चक्र, गदा और कमल पुष्प सुशोभित हैं। सुख-सौभाग्य, आरोग्य, ऐश्वर्य चाहने वाले लोगों को इनकी आराधना करनी चाहिए।

ध्यान

वन्दे वांछित मनोरथार्थ चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

कमलस्थितां चतुर्भुजा सिद्धीदात्री यशस्वनीम्॥

स्वर्णावर्णा निर्वाणचक्रस्थितां नवम् दुर्गा त्रिनेत्राम्।

शख, चक्र, गदा, पदम, धरां सिद्धीदात्री भजेम्॥

पटाम्बर, परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदना पल्लवाधरां कातं कपोला पीनपयोधराम्।

कमनीयां लावण्यां श्रीणकटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ

कंचनाभा शखचक्रगदापद्मधरा मुकुटोज्वलो।

स्मेरमुखी शिवपत्नी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालंकारं भूषिता।

नलिस्थितां नलनार्क्षी सिद्धीदात्री नमोअस्तुते॥

परमानंदमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।

परमशक्ति, परमभक्ति, सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।

विश्व वार्चिता विश्वातीता सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥

भुक्तिमुक्तिकारिणी भक्तकष्टनिवारिणी।

भव सागर तारिणी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥

धर्मार्थकाम प्रदायिनी महामोह विनाशिनी।

मोक्षदायिनी सिद्धीदायिनी सिद्धिदात्री नमोअस्तुते॥

कवच

ओंकारपातु शीर्षो मां ऐं बीजं मां हृदयो।

हीं बीजं सदापातु नभो, गुहो च पादयो॥

ललाट कर्णो श्रीं बीजपातु क्लीं बीजं मां नेत्र घ्राणो।

कपोल चिबुको हसौ पातु जगत्प्रसूत्यै मां सर्व वदनो॥

 

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