उत्तर प्रदेश

संसद का शीत सत्र कल से, नोटबंदी पर हंगामा तय

parliament-of-india_1461304294संसद के बुधवार से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में नोट बंदी के मामले में हंगामा तय है। सत्र शुरू होने से दो दिन पूर्व एकजुट विपक्ष और सरकार ने एक दूसरे पर इस मुद्दे पर हमला बोलने की ठोस रणनीति तैयार कर ली है। कांग्रेस, टीएमसी, भाकपा, माकपा, राजद, जदयू, वाईएसआर कांग्रेस और झामुमो ने संयुक्त बैठक कर जहां इस निर्णय के कारण लोगों को हो रही परेशानी को मुद्दा बना कर सरकार को घेरने की रणनीति बनाई है, वहीं प्रधानमंत्री की अगुवाई में हुई भाजपा संसदीय समिति की बैठक में विपक्ष पर जवाबी हमला बोलने की रणनीति तैयार हो गई है। इस बैठक में पीएम मोदी ने विपक्ष के दबाव में न झुकने की बात कही है।
विरोध जताने के लिए विपक्ष मंगलवार को मार्च भी निकाल सकता है। चूंकि कई दलों ने संसद के दोनों सदनों में पहले ही दिन इस मुद्दे पर चर्चा कराने का नोटिस दिया है, ऐसे में सत्र की शुरुआत हंगामे से ही होने के पूरे आसार बन गए हैं। गौरतलब है कि सत्र के दौरान मध्य प्रदेश में जेल से भागे सिमी के कथित आतंकवादियों के एनकाउंटर, कश्मीर में बीते तीन महीने से जारी असामान्य हालात जैसे कई मुद्दों पर भी हंगामा होना तय है।

शीत सत्र में नोट बंदी के मामले में हंगामे की जमीन तैयार हो गई है। कांग्रेस के राज्यसभा में संसदीय दल के नेता गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा, सीपीआई के डी राजा, राजद के प्रेम चंद गुप्ता सहित कुछ नेताओं ने बैठक कर सरकार पर एकजुट हमले की रणनीति बनाई। बैठक में कथित तौर पर नोट बंदी के फैसले के दिन पश्चिम बंगाल में भाजपा के खाते में जमा हुई एक करोड़ की रकम के मुद्दे को उठाने, नोट बंदी पर श्वेत पत्र लाने, भाजपा के राज्य इकाईयों और केंद्रीय मुख्यालय से जुड़े खातों में आई रकम सार्वजनिक करने की मांग करने पर सहमति बनी। हालांकि इस दौरान टीएमसी की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुवाई में सभी दलों के नेताओं के राष्ट्रपति से मुलाकात करने पर सहमति नहीं बन पाई। मंगलवार को कुछ और दल साथ बैठकर भावी रणनीति तैयार करेंगे।

सरकार की ओर से भी विपक्ष पर जवाबी हमला बोलने की रणनीति तैयार की गई। पीएम के अलावा गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली सहित कई वरिष्ठ मंत्रियों और नेताओं की अगुवाई में हुई इस बैठक में आक्रामक रुख अपनाने की रणनीति बनी। सूत्रों के मुताबिक पीएम ने दो टूक शब्दों में कहा कि लोग नोट बंदी के फैसले को हाथों हाथ ले रहे हैं। ऐसे में विपक्ष के दबाव में झुकने के बदले आक्रामक अंदाज में आगे बढ़ने की जरूरत है। सरकार संसद में इस मुद्दे पर विपक्ष पर गुमराह करने और काला धन इकट्ठा करने वालों की परोक्ष मदद करने का आरोप लगाएगी। बैठक में फैसला लिया गया कि सरकार विपक्ष की चर्चा की मांग को स्वीकार करेगी और इस फैसले को काला धन खत्म करने का चुनावी वादा पूरा करने के रूप में पेश करेगी।

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