ज्ञान भंडार

सामने आई अलवर रकबर की आखिरी तस्वीर, मारने वाले बोल रहे थे- ‘विधायक हमारे साथ हैं’

अलवर के रामगढ़ में शुक्रवार देर रात गाय ले जाते वक्त भीड़ हिंसा के शिकार हुए हरियाणा के रकबर उर्फ अकबर की मौत की जांच के लिए गठित राजस्थान पुलिस की उच्चस्तरीय समिति ने माना कि मामले में पुलिस से गंभीर चूक हुई है। जांच समिति ने सोमवार को छानबीन और पूछताछ के बाद रामगढ़ थाना प्रभारी एएसआई मोहन सिंह को निलंबित और तीन कांस्टेबल को लाइन हाजिर कर दिया है।

सामने आई अलवर रकबर की आखिरी तस्वीर, मारने वाले बोल रहे थे- 'विधायक हमारे साथ हैं'वहीं इस घटना के प्रत्यक्षदर्शी और अकबर के दोस्त असलम ने पुलिस शिकायत में कहा है कि गोरक्षक बोल रहे थे, ‘विधायक हमारे साथ है। कोई हमारा कुछ नहीं कर सकता है। इसपर (अकबर) आग लगा दो।’ यहां से भाजपा के ज्ञानदेव आहूजा विधायक हैं। पहले उन्होंने गोरक्षों का बचाव किया था।

हालांकि अब उन्होंने इन दावों को खारिज कर दिया है और कहा है कि यह उनकी छवि खराब करने के लिए भ्रष्ट पुलिस की साजिश है। रविवार को पुलिस ने असलम के बयान रिकॉर्ड किए थे। जिसमें उसने पांच हमलावरों के नाम बताए थे। जिसके बाद पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया था। अकबर के साथ असलम अलवर गाय खरीदने के लिए आया था। वापस जाते समय आदमियों के एक समूह ने उन्हें देखा और पीछा करने लगे।

पुलिस को दिए बयान के अनुसार दोनों दो गायों के साथ लालवंडी गांव से होकर गुजर रहे थे। रास्ते में एक मोटरसाइकिल ने उनका रास्ता रोका। उसकी तेज आवाज से गाय चौंक गई और पास के कपास के खेत में दौड़कर चली गईं। खेत में सात लोग मौजूद थे जिसमें से पांच एक दूसरे को धर्मेंद्र यादव, परमजीत सिंह, नरेश, विजय और सुरेश के नाम से बुला रहे थे। इन आदमियों ने अकबर को जमीन पर गिरा दिया और उसे डंडों से पीटना शुरू कर दिया जबकि दो निगरानी कर रहे थे।

असलम खेत में ही मौजूद था और हमलावरों को उसने कहते हुए सुना, ‘विधायक हमारे साथ हैं, कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता।’ असलम किसी तरह वहां से बच निकलने में सफल रहा। वहीं पुलिस के बयान ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। पहले स्थानीय नेता ज्ञानदेव आहूजा ने कहा था कि गोरक्षों ने नहीं बल्कि अकबर की मौत पुलिस कस्टडी में हुई है।

इसी बीच ऑल इंडिया मेवात समाज के रमजान चौधरी का कहना है, ‘इसमें कोई शक नहीं है कि हमलावर स्थानीय नेताओं के बारे में बात कर रहे थे।’ उन्होंने खुद इस तरह का बयान जारी किया है। जैसे, ‘वह मेरे आदमी थे। मैंने उनसे कहा था कि अकबर की थोड़ी पिटाई करो फिर उसे पुलिस के हवाले कर दो।’ हालांकि आहूजा का कहना है कि यह उनकी छवि खराब करने की एक साजिश है।

एसआई का वीडियो वायरल 
साहब मैंने गलती कर दी, चाहे सजा दो या छोड़ दो
एएसआई मोहन सिंह का एक वीडियो वायरल हो गया, जिसमें वह कह रहे हैं, ‘हां साहब मैंने गलती कर दी। कैसे भी मान लो। अब चाहे सजा दो या छोड़ दो आपकी मर्जी।’

पुलिस पर इसलिए उठे सवाल
पुलिस घायल अकबर को रात 1.30 बजे घटनास्थल से लेकर चली
मृतक घोषित करने वाले डॉक्टर के मुताबिक तड़के 4 बजे पहुंचे अस्पताल
छह किमी दूर स्थित अस्पताल पहुंचने में कैसे लग गए तीन घंटे?
अस्पताल ले जाने से पहले गायों को गोशाला पहुंचाने में वक्त क्यों बर्बाद किया?
अस्पताल ले जाते समय बीच में 2.30 बजे चाय पीने क्यों रुकी पुलिस टीम?
अगर अकबर गंभीर घायल था तो उसे रास्ते में क्यों नहलाया गया? 

भीड़ हिंसा पर उच्च स्तरीय समिति, जीओएम गठित
देश में भीड़ हिंसा की घटनाओं से चिंतित केंद्र सरकार ने इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने का फैसला किया है। इसके तहत गृह सचिव की अगुवाई में एक उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। समिति चार हफ्ते में भीड़ हिंसा रोकने के उपायों पर अपनी रिपोर्ट देगी। इसके साथ ही गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में बनाया गया मंत्रियों का समूह (जीओएम) समिति की सिफारिशों पर विचार करेगा।

फिर अंतिम रिपोर्ट प्रधानमंत्री को सौंपेगा। जीओएम में राजनाथ के अलावा विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविश्ंाकर प्रसाद, सड़क व परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलोत भी शामिल होंगे।

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