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सामर्थ्य की कमी नहीं थी, कमी थी कार्यसंस्कृति की : मोदी

नई दिल्ली : देश के एक मशहूर अखबार ने अपने 75 वर्ष पूरे होने पर एक कार्यक्रम का आयोजन किया, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विस्तार से अपने विचार रखे। मोदी ने नाम लिए बिना विकास में भारत के पिछड़ जाने के लिए गांधी परिवार और कांग्रेस को जिम्मेदार बताया। उन्होंने कहा कि बड़े सरनेम वाले लोग भी राज कर गए लेकिन भारत की समस्याओं का समाधान नहीं कर पाए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें खुद से सवाल पूछना चाहिए कि आखिर पिछले 67 साल से पिछड़े क्यों थे और 4 साल में ही अभूतपूर्व प्रगति कैसे हो गई। उन्होंने कहा कि आज आंकड़े भी प्रगति की गवाही दे रहे हैं। मोदी ने कहा कि हम आज न्यू इंडिया के संकल्प से सिद्धि की ओर अग्रसर हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बड़े-बड़े लोग सत्ता में आए और बड़े-बड़े सरनेम वाले लोग भी सत्ता में आए और चले भी गए, लेकिन दशकों तक जो लोग छोटी-छोटी समस्याओं से जूझ रहे थे। उनकी समस्याओं को समाधान नहीं हो सका। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा-
‘मंजिलों की कमी नहीं थी, नीयत की कमी थी।
पैसों की कमी नहीं थी, पैशन की कमी थी।
सॉल्यूशंस की कमी नहीं थी, संवेदना की कमी थी।
सामर्थ्य की कमी नहीं थी, कमी थी कार्यसंस्कृति की।’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, जब हमारे देश के गरीब, शोषित और वंचितों को सारी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो जाएंगी, उन्हें शौचालय, बिजली, बैंक अकाउंट, गैस कनेक्शन जैसी चीजों की चिंताओं से मुक्ति मिल जाएगी, तो फिर मेरे देश के गरीब खुद ही अपनी गरीबी को परास्त कर देंगे। उन्होंने कहा, बीते चार वर्षों में आप इस परिवर्तन को होते हुए देख भी रहे हैं। आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं, लेकिन ये सब पहले नहीं हुआ। पहले इसलिए नहीं हुआ क्योंकि गरीबी कम हो जाएगी, तो ‘गरीबी हटाओ’ का नारा कैसे दे पाएंगे। मोदी ने कहा कि सरकार शत-प्रतिशत लोगों को करीब-करीब सभी मूलभूत सुविधाएं देने के करीब पहुंच गई है। तो भारत दूसरे युग में छलांग लगाने के लिए तैयार है। उन्होंने कहा कि करोड़ों भारतीयों की सरकार, उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए तत्पर है। आज हम न्यू इंडिया की संकल्प से सिद्धि की यात्रा की ओर अग्रसर हैं। नए भारत की जब भी हम बात करते हैं तो मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस और सबका साथ, सबका विकास इसके मूल में है। हम एक ऐसी व्यवस्था की बात करते हैं जहां जनभागीदारी से योजनाओ का निर्माण भी हो और जनभागीदारी से ही उन पर अमल भी हो। इसी सोच को हमने बीते चार वर्षों से आगे बढ़ाया है। केंद्र सरकार की अनेक योजनाओं को जनता अपनी जिम्मेदारी समझकर आगे बढ़ा रही हैं। सरकार, सरोकार और सहकार, ये भावना देश में मज़बूत हुई है। देश का युवा आज विकास में खुद को स्टेक होल्डर मानने लगा है, सरकारी योजनाओं को अपनेपन के भाव से देखा जाने लगा है। उसको लगने लगा है कि उसकी आवाज़ सुनी जा रही है। यही कारण है कि सरकार और सिस्टम पर विश्वास आज अभूतपूर्व स्तर पर है। ये विश्वास तब जागता है, जब सरकार तय लक्ष्य हासिल करते हुए दिखती है, पारदर्शिता के साथ काम करती हुई नज़र आती है। आप भी अकसर सोचते होंगे, हैरत में पड़ते होंगे, कि आखिर हमारा देश पिछड़ा क्यों रह गया? आजादी के इतने दशकों के बाद ये कसक आपके मन में भी होगी कि हम क्यों पीछे रह गए। हमारे पास विशाल उपजाऊ भूमि है। हमारे नौजवान बहुत प्रतिभाशाली और मेहनती भी हैं। हमारे पास प्राकृतिक संसाधनों की भी कोई कमी नहीं रही। इतना सब कुछ होने के बावजूद हमारा देश आगे क्यों नहीं बढ़ पाया? मोदी ने कहा कि भाजपा सरकार कबीर के दोहे की तर्ज पर काम कर रही है। उन्होंने कहा, बहुत आसानी से कुछ लोग कबीरदास जी के उस दोहे को बिगाड़कर मजाक बना देते हैं, जिसमें उन्होंने कहा था- काल करे सो आज कर, आज करे सो अब। मोदी ने कहा, कल्पना कीजिए, मुंबई से थोड़ी ही दूरी पर बसे लोगों को कैसा लगता होगा, जब वो खुद अंधेरे में रात-दिन गुजारते हुए मुंबई की चकाचौंध को देखते होंगे। उस अंधेरे में 70 साल गुजार देने की कल्पना करके देखिए। अभी कुछ दिन पहले ही मुझे एक व्यक्ति ने पत्र लिखकर धन्यवाद दिया। उसने पत्र इसलिए लिखा क्योंकि मेघालय पहली बार ट्रेन सेवा से जुड़ गया है। क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि हमारे सत्ता में आने से पहले मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा भारत के रेल मैप में ही नहीं थे। सोचिए, इसने किस तरह इन राज्यों के लोगों की जिंदगी पर असर डाला होगा। मोदी ने कहा कि जीवन के हर पहलू को सरकार तकनीक से जोड़ने को लेकर प्रयासरत है। उन्होंन कहा आज भारत में Connectivity से लेकर Communication तक, Competition से लेकर Convenience तक, जीवन के हर पहलू को तकनीक से जोड़ने का प्रयास हो रहा है। तकनीक और मानवीय संवेदनाओं की शक्ति से Ease of Living सुनिश्चित की जा रही है। मोदी ने कहा, गरीब के सशक्तिकरण का माध्यम बनाने का ये काम सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं रहने वाला है, इसको आने वाले समय में विस्तार दिया जाना है। हमारा प्रयास है कि बिचौलियों को तकनीक के माध्यम से हटाया जाए। उत्पादक और उपभोक्ता को जितना संभव हो पाए उतना पास लाया जाए। भ्रष्टाचार चाहे किसी भी स्तर पर हो, हमारी नीति स्पष्ट भी है और सख्त भी। मोदी ने उम्मीद जताई कि उनकी सरकार की ओर से आर्थिक अपराधियों और भगोड़ों को पकड़ने के लिए शुरू किए प्रयास रंग लाएंगे। उन्होंने कहा, जैसा कि आप सभी जानते हैं पिछले दिनों अर्जेंटीना में G-20 का सम्मेलन हुआ। उस सम्मेलन में आए नेताओं से मेरी बातचीत हुई, हमने अपनी बातें भी दुनिया की ताकतवर अर्थव्यवस्थाओं के बीच रखी। जो आर्थिक अपराध करने वाले हैं, भगोड़े हैं, उनको दुनिया में कहीं भी सुरक्षित पनाहगाह न मिले इसके लिए भारत ने कुछ सुझाव अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के बीच रखे हैं। मुझे विश्वास है कि हमारी ये मुहिम रंग लाएगी। आज बड़े लक्ष्यों, कड़े और बड़े फैसलों का अगर साहस सरकार कर पाती है, तो उसके पीछे एक मजबूत सरकार है, पूर्ण बहुमत की सरकार है।

न्यू इंडिया के लिए सरकार का फोकस सामर्थ्य, संसाधन, संस्कृति और सुरक्षा पर है। विकास की पंचधारा यानि बच्चों को पढ़ाई, युवा को कमाई, बुजुर्गों को दवाई,किसान को सिंचाई और जन-जन की सुनवाई, इसी को केंद्र में रखते हुए सरकार आगे बढ़ रही है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि सोचिए, आखिर क्यों आजादी के 67 साल तक केवल 38 प्रतिशत ग्रामीण घरों में ही शौचालय बने और कैसे केवल चार साल में 95 प्रतिशत ग्रामीण घरों को शौचालय उपलब्ध करा दिए? सोचिए, आखिर क्यों, आजादी के 67 साल बाद तक केवल 55 प्रतिशत बस्तियों, टोले और गांव तक ही सड़क पहुंची थी और कैसे केवल चार साल में सड़क संपर्क को बढ़ाकर 90 फीसदी से ज्यादा बस्तियों, गांव, टोलों तक पहुंचा दिया गया? सोचिए, आखिर क्यों आजादी के 67 साल बाद तक केवल 55 प्रतिशत घरों में ही गैस का कनेक्शन था और अब कैसे केवल 4 साल में गैस कनेक्शन का दायरा 90 फीसदी घरों तक पहुंचा दिया? सोचिए, आखिर क्यों, आजादी के बाद के 67 वर्षों तक केवल 70 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक ही बिजली की सुविधा पहुंची थी और अब कैसे बीते चार वर्षों में 95 प्रतिशत ग्रामीण परिवारों तक बिजली पहुंच गई है? व्यवस्थाओं में अपूर्णता से संपूर्णता की तरफ बढ़ते हमारे देश ने पिछले चार-साढ़े चार वर्षों में जो प्रगति की है, वो अभूतपूर्व है? सोचिए कि आखिर क्यों, आजादी के 67 वर्षों तक देश के सिर्फ 50 प्रतिशत परिवारों के पास ही बैंक खाते थे और ऐसा कैसे हुआ कि आज देश का लगभग हर परिवार बैंकिंग सेवा से जुड़ गया है? सोचिए, कि आखिर ऐसा क्यों था कि आजादी के 67 वर्षों तक बमुश्किल 4 करोड़ नागरिक ही इनकम टैक्स रिटर्न भर रहे थे और केवल चार वर्ष में ही तीन करोड़ नए नागरिक इनकम टैक्स के नेटवर्क से जुड़ गए हैं? सोचिए कि आखिर क्यों ऐसा था कि जब तक जीएसटी नहीं लागू हुआ था, हमारे देश में Indirect Tax सिस्टम से 66 लाख उद्यमी ही रजिस्टर्ड थे और अब जीएसटी लागू होने के बाद 54 लाख नए लोगों ने रजिस्टर कराया है?

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