जीवनशैली

सावधान! गैजेट्स से दूर रखें बच्चों को, हो सकती हैं कई बीमारियां

mobile-addiction-to-child-4-55add78c3b0a8_lस्क्रीन एडिक्शन से बच्चों में भाषा और बोलने की प्रक्रिया के विकास में भी बाधा आ सकती है।  बच्चों के आसपास जितने गैजेट होंगे, उनके ऑटिज्म, बोलने में देरी और सामाजिक कौशल में कमी का उतना ही खतरा होगा। स्क्रीन एडिक्शन से बच्चों में ऑस्टिन स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) होने का भी खतरा होता है।

एक्सपर्ट चेतावनी देते हुए कहते हैं कि भारतीय बच्चों में स्मार्टफोन, टैबलेट, आईपैड और लैपटॉप के रूप में स्क्रीन एडिक्शन लगातार बढ़ रहा है और फ्यूचर में इसका उनकी लाइफ पर बुरा असर पडऩे वाला है। चाइल्ड एंड यंग साइकियाट्रिस्ट डॉ. शिल्पा अग्रवाल का कहना है कि, मुझे इस बात की चिंता है कि आज बच्चे मानव संबंधों की कीमत पर डिजिटल टेक्नोलॉजी का धड़ल्ले से इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका उनके दिमाग पर दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। यह बात पैरेंट्स को सोचनी होगी, क्योंकि गैजेट्स खिलौना नहीं ह

डॉ. अग्रवाल का कहना है कि इसका असर बच्चों को अपने इमोशंस को कंट्रोल करने की क्षमता पर पड़ सकता है और यह स्वस्थ संचार, सामाजिक संबंधों तथा रचनात्मक खेलों को प्रभावित कर सकता है। अमरीकन अकादमी ऑफ  पीडियाट्रिक्स दो साल तक के बच्चों के किसी भी प्रकार के स्क्रीन मीडिया और स्क्रीन पर बिताए गए समय को हतोत्साहित करता है और दो साल से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए एक या दो घंटे से ज्यादा समय तक स्क्रीन पर समय बिताने की वकालत नहीं करता। नई दिल्ली स्थित मैक्स सुपर स्पेशियलिटी में मानसिक स्वास्थ्य और व्यवहार विज्ञान के निदेशक डॉ. समीर मल्होत्रा ने जोर देते हुए कहा, मानवीय संबंधों की कीमत पर धड़ल्ले से स्क्रीन का इस्तेमाल बच्चों में सामाजिक-संचार कौशल और पारिवारिक कर्तव्यों को प्रभावित कर सकता है।

स्टडी में हुआ खुलासा…

हाल ही हुए न्यूरो-इमेजिंग स्टडीज में इस बात का खुलासा हुआ कि स्क्रीन एडिक्शन से बच्चों में विभिन्न प्रकार के संज्ञानात्मक दोष हो सकते हैं। स्क्रीन एडिक्शन से बच्चों में ऑस्टिन स्पेक्ट्रम विकार (एएसडी) होने का भी खतरा होता है।

एक मामला मुझे याद है, जिसमें एक बच्चे में एएसडी के लक्षण थे। वह केवल आईपैड पर प्रतिबिंबों पर ही प्रतिक्रिया व्यक्त करता था, वह स्क्रीन एडिक्शन से बुरी तरह पीडि़त था। एक प्ले स्कूल में एडमिट करवाने के बाद वह धीरे-धीरे ठीक हो गया, क्योंकि वह स्क्रीन एडिक्शन के बदले दूसरे बच्चों के साथ सामाजिक-भावनात्मक कौशल विकसित करने में कामयाब रहा।

डॉ. अशोक गुप्ता, चाइल्ड स्पेशलिस्ट

लैग्वेज और स्पीकिंग प्रॉब्लम

स्क्रीन एडिक्शन से बच्चों में भाषा और बोलने की प्रक्रिया के विकास में भी बाधा आ सकती है। स्क्रीन एडिक्शन के कारण कई बच्चों में हमने बोलने में हुई परेशानी को देखा है। मैं चेतावनी देते हुए यह कहना चाहूंगी कि बच्चों के आसपास जितने गैजेट होंगे, उनके ऑटिज्म, बोलने में देरी और सामाजिक कौशल में कमी का उतना ही खतरा होगा।

 

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