जीवनशैली

सिंगल पेरेंटिंग: रास्ता मुश्किल जरूर है पर नामुमकिन नहीं

1_1444294596दस्तक टाइम्स/एजेंसी:  कुछ महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक व्यवस्था के तहत अनमैरिड और तलाकशुदा औरतों को इस बात के अधिकार दिए थे कि वह अकेले रहकर बच्चों की परवरिश कर सकती हैं। उन्हें बच्चे के पिता से पूछने या उनका नाम इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं है। लेकिन क्या सिर्फ एक आदेश के तहत सिंगल पेरेंटिंग सहज हो सकती है। आमतौर पर सिंगल पेरेंटिंग में बच्चों का इमोशनल लगाव मां से ज्यादा हाेता है, जबकि पिता के पास रह रहे बच्चे इकोनॉमिकली फ्री होते हैं।
 
अभिभावक रखें ध्यान
सिंगल पेरेंट्स का आशावादी रवैया बच्चों पर बुरा असर डालता है। ऐसे में किसी भी पेरेंटस के लिए यह जरूरी हो जाता है कि वह अपना अपराध बोध, असुरक्षा और किसी भी तरह की दुर्भावना बच्चों के सामने जाहिर न होने दें। कोशिश करें की अलग रह रहे पेरेंट्स के बारे में बच्चों के मन में गलत बातें न पनपें।
 
बच्चों को शुरू से ही घर की छोटी- मोटी जिम्मेदारियां देकर रखें। इस सिचुएशन में पल रहे रहे बच्चे पेरेंट्स से ज्यादा उम्मीद करते हैं। इसलिए कामकाजी जीवन और पुरानी भड़ास को बच्चों पर न उतारें।

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