राष्ट्रीय

सिर्फ सुरक्षा नहीं इस बार गणतंत्र दिवस परेड में कदमताल भी करेंगे एनएसजी कमांडो

इस साल गणतंत्र दिवस परेड में पहली बार एनएसजी कमांडो का दस्ता हिस्सा ले रहा है. अभी तक एनएसजी कमांडो गणतंत्र दिवस परेड को सुरक्षा-कवच प्रदान करते आए थे. लेकिन पहली बार वे राजपथ पर कदमताल करते नजर आएंगे. इसी लिए एनएसजी कमांडो ने 26 जनवरी के लिए राजपथ पर अपनी रिहर्सल शुरू कर दी है.

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100 कमांडो शामिल होंगे परेड में
जानकारी के मुताबिक, करीब 100 ब्लैक कैट कमांडो इस साल एनएसजी के मार्चिंग-दस्ते का हिस्सा होंगे. इनमें से 72 कमांडो मार्च-पास्ट में हिस्सा लेंगे और बाकी कमांडो ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाली खास गाड़ियों में होंगे. डॉग स्कवॉयड और बम निरोधक दस्ता भी टुकड़ी का हिस्सा होंगे.

इस खास अंदाज में दिखेंगे एनएसजी कमांडो
मार्च पास्ट करने वाले कमांडो हाथों में खास एमपी-5 राइफल लिए एनएसजी के वॉर-क्राई (War-cry), ‘हैं ना, हैं ना, हिंदुस्तान’ के साथ राजपथ पर कदमताल करेंगे. उसके पीछे बख्तरबंद गाड़ी के ऊपर खास लैडर (सीढ़ी) पर एक कमांडो चढ़ा हुआ दिखाई देगा. ये दर्शाता है कि अगर किसी हाई राइज़ बिल्डिंग या फिर प्लेन पर चढ़ना हो तो कैसे चढ़ा जाता है ये दिखाया गया हैं क्योंकि एनएसजी को हॉस्टेज़ सिचुयेएशन यानी किसी बिल्डिंग में बंधक स्थिति हो या फिर विमान हाईजैक हो जाने वाले परिस्थिति से निपटने में महारत हासिल है. डॉग स्कवॉयड और बम निरोधक दस्ता भी एनएसजी का खास हिस्सा है. इसीलिए उसे भी मार्च-पास्ट में शामिल किया गया है.

कठिन से कठिन ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए बना था एनएसजी
नेशनल सिक्योरिटी गार्डस् यानी एनएसजी का गठन 1984 में हुआ था. आतंकी हमलों और आतंकियों द्वारा खड़ी की गई हॉस्टेज़ सिचयेुशन के लिए एनएसजी का गठन किया गया था. उसके बाद कई बड़े आतंकी हमलों में एनएसजी ने अपने दमखम का लोहा मनवाया है. मुंबई के 26/11 हमलें में एनएसजी ने आतंकियों को मार गिराने और बंधक बनाए लोगों को रिहा करवाने में अहम भूमिका निभाई थी. उस दौरान एनएसजी के अधिकारी, मेजर संदीप उनीकृष्नन शहीद हो गए थे. इसके अलावा वर्ष 2002 में गुजरात के गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर में हुए बड़े आतंकी हमले में भी ब्लैक कैट कमांडोज़ ने ऑपरेशन किया था.

लेकिन पिछले साल पठानकोट एयरफोर्स स्टेशन पर जब पाकिस्तान से आए आतंकियों ने हमला किया तो सेना के स्पेशल फोर्स के कमांडोज़ के साथ साथ एनएसजी को इस मिशन को अंजाम देने के लिए भेजा गया. एनएसजी का ऑपरेशन सफल भी हो गया था लेकिन एक ग्रेनेड को निष्कृय करने के दौरान एक अधिकारी, लेफ्टिनेंट कर्नल निरंजन बूबी-ट्रैप में फंसकर शहीद हो गए थे.

इसलिए परेड के लिए चुना गया एनएसजी को
पठानकोट हमले में एनएसजी की अहम भूमिका को देखते हुए ही सरकार ने इस बार ब्लैक कैट कमांडोज़ को इस बार गणतंत्र दिवस परेड को लिए खासतौर से चुना है. अभी तक सेना के पैरा-एसएफ यानी स्पेशल फोर्स के कमांडो ही रिपब्लिक-डे परेड का हिस्सा होते थे लेकिन अब एनएसजी भी इस श्रेणी में शामिल हो गई है.

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