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स्विस बैंकों में ब्लैकमनी रखना होगा मुश्किल

black-moneyनई दिल्‍लीः कालेधन रोकने की दिशा में मोदी सरकार को एक और कामयाबी मिली है। भारत और स्विट्जरलैंड के बीच अहम करार हुआ है। स्विट्जरलैंड भारतीय लोगों के स्विस बैंक खातों से जुड़ी सूचनाओं को सितंबर 2018 से ऑटोमैटिक तरीके से साझा करने पर सहमत हो गया। इसके लिए दोनों देशों के बीच मंगलवार को ज्‍वाइंट डिक्‍लेयरेशन पर दस्‍तखत हुए हैं।
सितंबर 2019 से मिलने लगेगी इनफॉर्मेशन
– मौजूदा केंद्र सरकार विदेश में जमा ब्लैकमनी की चुनौती से पार पाने के लिए प्राथमिकता से कार्रवाई कर रही है।
-इस टार्गेट को ध्यान में रखते हुए भारत की तरफ से सी.बी.डी.टी. के चेयरमैन सुशील चंद्रा और स्विट्जरलैंड की तरफ से भारत में मौजूद स्विस एम्बेसी के डिप्टी चीफ गिल्स रॉडुट ने ज्वाइंट डिक्लेयरेशन पर दस्तखत किए।
– वित्त मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक अब भारत और स्विट्जरलैंड के बीच सितंबर 2019 से ऑटोमैटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फॉर्मेशन (एईओआई) को लागू किया जाएगा।
– इसके तहत भारतीयों द्वारा स्विट्जरलैंड के अकाऊंट्स में 2018 और उसके बाद के सालों में जमा पैसे की इन्फॉर्मेशंस ऑटोमैटिकली भारत को मिल जाएगी।
– ज्वाइंट डिक्लेयरेशन से फॉरेन अकाउंट्स में जमा ब्लैकमनी की समस्या से निपटने में मदद मिलेगी।
जून में हुआ था एग्रीमेंट
– नरेंद्र मोदी और स्विट्जरलैंड के राष्ट्रपति जोहान श्नाइडर अम्मान के बीच जिनेवा में 6 जून को बैठक हुई थी।
– इसके बाद स्विट्जरलैंड के सीनियर अफसर के डेलिगेशन ने रेवेन्यु सेक्रेटरी हसमुख अढिया से मुलाकात की थी।
– इस मीटिंग में बायलेटरल और मल्‍टीलेटरल टैक्‍स व फाइनैंशियल मुद्दों पर बातचीत हुई थी।

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