अन्तर्राष्ट्रीय

हिममानव के नहीं, बल्कि भालुओं के हैं तिब्बत में मिले नमूने

बफलो विश्वविद्यालय के शोध में खुलासा

न्यूयॉर्क : हिममानव (येति) का अस्तित्व अब भी रहस्य ही है। लेकिन वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझाने का दावा किया है। बफलो विश्वविद्यालय न्यूयॉर्क के शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च में पाया है कि हिमालय से मिले दांतों, बाल, हड्डियों के नमूने हिममानव के नहीं हैं। रॉयस सोसाइटी में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने कहा है कि कुल नौ नमूनों में एक कुत्ते का है और बाकी आठ नमूने एशियाई काले भालू के हैं। इस अध्ययन का नेतृत्व करने वाली डॉ. शेरलॉट लिंडक्विस्ट ने बताया कि हमारे निष्कर्ष बताते हैं कि हिममानव के जैविक आधार वहां रहने वाले भालुओं में भी पाए जाते थे। वहीं, अध्ययन यह भी दर्शाता है कि जेनेटिक्स अन्य रहस्यों को भी सुलझाने में सक्षम है। हालांकि, यह कोई पहली टीम नहीं है, जिसने येति के डीएनए पर शोध किया है। पहले भी इस तरह के शोध हो चुके हैं। इस मुद्दे पर डॉ. लिंडक्विस्ट ने बताया कि पहले की रिसर्च में कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब नहीं मिल सके थे। डॉ. लिंडक्विस्ट की टीम ने तिब्बती पठार पर मिले नमूनों पर शोध किया। इन नमूनों में हाथ की खाल, हड्डी आदि थे। स्किन के नमूनों का मिलान काले एशियाई भालुओं से हुआ है, तो हड्डी भूरे तिब्बती भालुओं की है। डॉ. लिंडक्विस्ट कहती हैं कि हिमालय पर पाए जाने वाले भूरे भालू पूरी तरह से लुप्त हो गए हैं। शोधकर्ताओं की टीम ने 23 एशियाई भालुओं के सैंपल पर रिसर्च किया। इसमें उन्होंने येति के कथित नमूने को भी रखा। वैज्ञानिकों की मानें तो ग्लेशियरों और पहाड़ों की वजह से हिमालय पर पाए जाने वाले भालू अन्य लोगों से अलग हो गए होंगे।

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