अद्धयात्म

15 जनवरी को सूर्यदेव होंगे उत्तरायण, जानिए क्यों कहते हैं इसे देवताओं का दिन

sankranti1-1452238987मकर संक्रांति सिर्फ पतंगबाजी का ही दिन नहीं है। धार्मिक दृष्टि से भी इसका बहुत महत्व है। यह दान-पुण्य, स्नान, जप आदि शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। वर्ष 2016 में मकर संक्रांति 15 जनवरी को आएगी। मकर संक्रांति के दिन से सूर्यदेव उत्तरायण होते हैं। इस दिन वे उत्तरी गोलार्द्ध की ओर आना शुरू करते हैं। इससे रात्रि की अवधि छोटी होने लगती है और दिन बड़े होते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा जाता है। आगे जानिए, क्यों कहते हैं उत्तरायण को देवताओं का दिन और क्या है इसका महत्व…

सूर्यदेव एक राशि से दूसरी में प्रवेश करते हैं। यह अवधि करीब एक माह की होती है। मकर संक्रांति के दिन वे मकर राशि में प्रवेश करते हैं इसलिए यह दिन मकर संक्रांति कहलाता है। पौराणिक दृष्टि से यह एक शुभ दिन है और इसकी शुरुआत दान-पुण्य, स्नान आदि से करते हैं। इसके बाद ही रुके हुए मांगलिक कार्य, विवाह आदि का श्रीगणेश होता है। वातावरण में सर्दी कम होने लगती है और गर्मी धीरे-धीरे बढऩे लगती है।

सूर्यदेव का उत्तरायण होना शुभ होता है। शास्त्रों के अनुसार, सूर्यदेव का दक्षिणायन होना देवताओं की रात्रि है। शुभ व मांगलिक कार्यों के लिए इसे उत्तम नहीं माना जाता जबकि उत्तरायण का विशेष महत्व है। यह देवताओं का दिन होता है। इस दिन से सूर्य की पवित्र किरणों का तेज बढऩे लगता है और वातावरण की नकारात्मकता खत्म होने लगती है। 

चूंकि धरती पर सूर्यदेव जीवन के रक्षक माने जाते हैं। उनकी किरणें पृथ्वी को ऊर्जा देती हैं जिनसे यहां जीवन संभव होता है। ऋषि-महात्माओं ने सूर्यदेव की उपासना पर बल दिया है क्योंकि इससे हमें शक्ति प्राप्त होती है। कुंडली में सूर्य का दोष जातक को अनेक कष्ट देता है।   इसकी शुभ स्थिति भाग्य को और प्रबल बनाती है। यही कारण है कि ऋषियों ने मकर संक्रांति को स्नान और सूर्यदेव की पूजा से जोड़ा है। स्नान तन-मन की मलिनता को दूर करता है और सूर्यदेव जीवन के दोषों का निवारण करते हैं। इस प्रकार मकर संक्रांति एक शुभ दिन माना जाता है।

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