उत्तराखंडराज्य

उत्तराखंड: सुरंग में 96 घंटों से फंसी 40 जिंदगियां, स्थानीय लोग बोले- नाग देवता का प्रकोप

देहरादून: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में हुए टनल हादसे को 96 घंटे का समय बीत चुका है. सुरंग के भीतर 40 ज़िंदगियां फंसी हुई हैं, लेकिन उन्हें बाहर निकालने की कोशिशों में अब तक सफलता नहीं मिली है. निर्माणाधीन सुरंग के अंदर फंसे मजदूरों को पाइप के जरिए खाना-पानी पहुंचाया जा रहा है. इस हादसे को स्थानीय लोग इष्ट देवता भगवान बौख नाग देवता का प्रकोप मान रहे हैं. उनका कहना है कि कंपनी ने भगवान का मंदिर बनाने के वादा किया लेकिन बनाया नहीं. इसके साथ ही ग्रामीणों का बनाया छोटा मंदिर भी तोड़ दिया. इसके बाद ही दुर्घटना हो गई. ये देवता का प्रकोप है.

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में नेशनल हाईवे पर एक निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा रविवार तड़के ढह गया. इसमें सुंरग के भीरत 40 मजदूर फंस गए हैं. ब्रह्मखाल-यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर निर्माणाधीन सुरंग में फंसे इन श्रमिकों तक अब भोजन-पानी पहुंचाया जा रहा है. उन्हें निकालने की लिए तमाम कोशिशें की जा रही हैं, लेकिन अब तक 96 घंटे बीते जाने के बाद भी उन्हें बाहर निकालने में कोई सफलता नहीं मिली है. गुरुवार को पांचवें दिन नई ड्रिल मशीन से कोशिश की जा रही है.

स्थानीय लोग कहते हैं कि ये हादसा इष्ट देव भगवान बौख नाग का प्रकोप है. टनल के ठीक ऊपर जंगल में बौख नाग देवता का मंदिर है. कंपनी ने जंगलों को छेड़कर टनल बनाना शुरू किया और बदले में कंपनी ने टनल के पास देवता का मंदिर बनाने का वायदा किया था, लेकिन 2019 से अभी तक मंदिर नहीं बनाया. कई बार लोगों ने कंपनी के अधिकारियों को इसकी याद भी दिलाई, लेकिन अधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. उल्टे टनल साइट पर कुछ दिन पहले ग्रामीणों का बनाया गया छोटा-सा मंदिर भी तोड़ दिया. इसके ठीक बाद टनल में दुर्घटना हो गई. ग्रामीणों का कहना है कि ये देवता का प्रकोप है.

कंपनी को भी अब लग रहा है कि कहीं सच में ऐसा ही तो नहीं. इसलिए टनल साइट पर बौख नाग देवता के पुजारी को बुलाकर बुधवार को श्रीफल फोड़कर पूजा-पाठ कराई गई. भगवान के नाम का प्रसाद बनवाया और संकल्प लिया गया कि ऑपरेशन सफल होते ही देवता का मंदिर बनाया जाएगा. वहीं बुधवार को सिलक्यारा टनल ऑपरेशन साइट पर पहुंची टिहरी सांसद माला राज्य लक्ष्मी भी भगवान बौख नाग देवता से प्रार्थना करती नजर आईं. दरअसल इस पूरे क्षेत्र में बौखनाग देवता को लोग आराध्य के तौर पर पूजते हैं. सुरंग के ऊपर जंगलों में कई देवताओं के छोटे-छोटे मंदिर हैं.

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