राजनीति

यूपी चुनाव: अस्तित्व बचाने की लड़ाई में बसपा ‘बदलाव’ को तैयार

परंपरागत तौर-तरीके पर चलने वाली बसपा अस्तित्व बचाने की जंग में बदलाव की ओर तेजी से बढ़ रही है। पहले उसने विचारों में बदलाव किया और अब पार्टी की ब्रांडिंग और प्रचार-प्रसार के तरीके भी अपना रही है।  
बसपा अपने सियासी पथ पर सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है। 2007 से 2012 तक पूर्ण बहुमत की सरकार चलाने के बावजूद वह सत्ता से बाहर हो गई, जबकि उस दौर में कई अन्य राज्यों में सरकारें लगातार रिपीट हो रही थीं। बसपा जब विपक्ष में पहुंची तो उसने उपचुनावों से दूरी बनाए रखी और 2014 के लोकसभा चुनाव में सूबे की सभी 80 सीटों पर चुनाव लड़ने के बावजूद खाता भी नहीं खोल पाई। 
mayawati_1484472067
हालांकि पंचायत चुनाव पार्टी को संजीवनी देने वाले रहे और उसने दूसरे दलों से बेहतर प्रदर्शन किया। पर, कुछ महीने पहले से पार्टी के नेताओं व विधायकों के दल छोड़ने व निकालने का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह अभी तक बंद नहीं हुआ है। 

ऐसे हालात में बसपा सत्ता की मास्टर चाबी पाने की लड़ाई लड़ रही है। मुकाबला सूबे व केंद्र की सत्ताधारी दलों से है। ये दोनों दल पार्टी की ब्रांडिंग व चुनाव प्रचार को लेकर बड़े पेशेवर तैयारी के साथ मैदान में हैं। 

सोशल मीडिया पर भी बढ़ाया दखल

शायद यही वजह है कि बसपा खुद को इन दलों के बीच खड़ा रखने और जवाब देने के लिए पूरी ताकत से मैदान में आती नजर आ रही है।

पार्टी ने मशहूर गीतकारों व गायकों से इलेक्शन सांग तैयार कराने के साथ ही ब्रांडिंग के लिहाज से प्रभावशाली पोस्टरों का पूरा पैकेज तैयार कराया है। इन सबमें अखिलेश यादव सरकार की दुखती रग कानून-व्यवस्था को निशाना बनाया गया है। साथ ही बेहतर सरकार के सपने भी दिखाए गए हैं।
 
बसपा ने सोशल मीडिया पर भी अपनी सक्रियता बढ़ाई है। मायावती की प्रेस कॉन्फ्रेंस और सभाएं ट्विटर पर लाइव कराई जाती हैं। फेसबुक, ट्विटर पर तेजी से उसके अपडेट किए जाते हैं। वॉट्सएप पर भी पार्टी से जुड़े तमाम ग्रुप सक्रिय हैं जो नवीनतम सूचनाएं समर्थकों तक पहुंचा रहे हैं।

पोस्टर पंच का प्रयोग

बेटियों को मुस्कुराने दो…बहनजी को आने दो
भाईचारा बढ़ाने दो…बहनजी को आने दो
गांव खुशहाल बनाने दो…बहनजी को आने दो
सपनों को पंख लगाने दो…बहनजी को आने दो
निर्दोषों को न आंसू बहाने दो…बहनजी को आने दो।
 
मशहूर गायक से तैयार कराया इलेक्शन सांग
सिंहासन पे माया बहन…
खुशहाली का दौर हमें फिर वापस लाना है…नीला झंडा आसमान पे फिर से लहराना है..
 
तेरी सोच है छोटी, तेरी नीयत खोटी, तेरे झूठे हैं वादे, गलत इरादे…
बस खून बहाया, सच सूली चढ़ाया…
 
तेरा जुल्मो सितम भरपूर हुआ, तूने जख्म दिए नासूर हुआ…
 
तेरी चुप्पी में तेरी हार है, ऐसा जीना बेकार है
देखो जन-जन तैयार है, अब न कोई लाचार है
हां गुंडों की हार है, अबकी बसपा सरकार है…
 
घर में घुस के अत्याचारी, मां-बहनों की लाज से खेेलें
बीच चौराहे खून-खराबे, सड़कों पर लाशों कीढेरें
 
आसमानों से भी ऊंचा, अब तो यूपी का शिखर हो
साथ में जब हैं बहनजी क्या है डर, क्या फिकर हो…

ये बदलाव भी दिखे

पहले
बहुजन हिताय-बहुजन सुखाय
बाद में
सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय
 
पहले
तिलक, तराजू और तलवार, इनको मारो जूते चार
बाद में
हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु, महेश है
 
पहले
जिसकी जितनी संख्या भारी, उसकी उतनी भागीदारी
बाद में
जिसकी जितनी तैयारी, उसकी उतनी भागीदारी
 
पहले
मीडिया पर हमले, सोशल मीडिया से दूरी
अब
अब मीडिया के एक तबके पर हमले, सोशल मीडिया पर सक्रियता 
 
पहले
काडर बढ़ाओ
अब
भाईचारा भी बनाओ

Related Articles

Back to top button